Chaitali Thanvi

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चैताली थानवी फ्रीलांस राइटर हैं। लिखी कविता पत्रिका में आ चुकी है, तो कहानियां रेडियो शो में और थोड़ा कुछ एडवरटाइजिंग कंपनी के लिए भी लिखा है। फिलहाल अभिव्यक्ति के नए आयाम की खोज में।

होली 2021 : कब है और कैसे मनाएं इस बार सुरक्षित होली

Chaitali Thanvi
मृगनयनी को यार नवल रसिया… मृगनयनी … और उड़त गुलाल, लाल भये बादर… इसी रंग और रस में डूबने वाला है यह महीना और कहीं-कहीं जगह तो बसंत पंचमी से ही रंगों का खेल शुरू हो गया है| भारत में बहुत सारे त्यौहार मनाए जाते हैं|...

लव इन चौपाटी : चैताली थानवी की लिखी

Chaitali Thanvi
माला अपनी दीदी के लिए एग रोल लेने चौपाटी जाती रहती है| वहाँ उसे एक लड़का मिलता है| उससे मिलने के बाद माला थोड़ी-थोड़ी बदलने लगती है| क्या ये बदलाव प्यार की शक्ल लेगा? जानिए आगे| दिन के दो बजे सूरज अपने शिखर पर था...

मीठी फ़रवरी : चैताली थानवी की लिखी

Chaitali Thanvi
पीहू जिसके लिए ठहराव ही जीवन है और आकाश जो एक जगह रुक नहीं सकता| दोनों दोस्त मिलकर एक शर्त लगाते हैं फिर क्या होता है देखें!   फ़रवरी की ठंड भरी रात को जैसलमेर में तेज़ हवाएँ चल रही थीं| लाइब्रेरी की खिड़कियाँ एक-दूसरे...

पर्फेक्ट दामाद : चैताली थानवी की लिखी

Chaitali Thanvi
आज उनसे मुलाकात होगी, फिर आमने-सामने बात होगी… गाना गुनगुनाते हुए मैं पैकिंग कर रहा था| पर मेरा बैग बंद ही नहीं हो रहा था| मैं बैग के ऊपर चढ़ कर उसे बंद करने की कोशिश कर रहा था और भाई की आवाज़ आए जा...

उड़ने की कला : चैताली थानवी की लिखी

Chaitali Thanvi
बाहर तेज़ बारिश हो रही थी। ऋतु खिड़की के पास कुर्सी लगाए गुलमोहर के पेड़ को देख रही थी, जो उसके खिड़की के बहुत करीब था। ऋतु के एक हाथ में डाइरी थी और दूसरे हाथ में पेन। वो खिड़की के बाहर देखती और डायरी...

कुर्ती का टशन

Chaitali Thanvi
कुर्ती को हमेशा traditional outfit माना जाता था। वो सिर्फ सलवार या चूड़ीदार के साथ ही पहनी जा सकती है, ऐसा मानते थे। लेकिन अब उसे देखने का नज़रिया बदल रहा है। उसका ढांचा भी बदल रहा है। अब अलग-अलग तरह की कुर्तियाँ हैं बाज़ार...

मस्तमौला किशोर दा

Chaitali Thanvi
डी डी डी डी ई ई ई… डी डी डी डी ई ई ई… इस तरह की मस्ती भरी योडलिंग जब भी कहीं सुनते हैं तो सीधा एक ही नाम मन में आता है, किशोर कुमार। ये उनका ट्रेडमार्क ही नहीं उनकी रियासत है, जिस...

मैना की शादी : कहानी चैताली थानवी की लिखी

Chaitali Thanvi
संडे की शाम के वक़्त आसमान की लाइट डिम होते ही दादी गलियारे में बैठ जाती और जोर से आवाज़ लगातीं – ओह मैना! इधर आ तेल लगाऊं| चिढ़कर आखिर मैना को तेल लगाने बैठना ही पड़ता| भले ही मैना पच्चीस साल की हो गयी...

सोशल मीडिया और हमारी तन्हाई

Chaitali Thanvi
जब भीड़ बहुत हुआ करती थी, जब दुनिया तेज़ भागा करती थी, जब चार-पांच ऑटो खाली जाती दिखती थी, फिर भी उनमें से अपने लिए कोई ना रुकती थी, वो गुज़रा ज़माना याद आता है, उस रेस में दौड़ना याद आता है। पर अब दुनिया...