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दोस्तो,
लॉक डाउन खुल गया है और चारों तरफ एक खुशी का माहौल दिखाई पड़ रहा है. ऐसा लग रहा है जैसे इंसान रूपी परिंदे आजाद  हो गए हैं जो कभी अपने घरों में कैद थे. एक स्वच्छंद वातावरण उपस्थित हो गया है जिसको सभी ज्यादा से ज्यादा एंजॉय करना चाहते हैं. ऐसा लग रहा है जैसे खुले बाजारों में हर कोई कुछ न कुछ करना चाहता है. परंतु साथ में यह देखकर बहुत अच्छा लग रहा है कि लोग मास्क लगाए हुए हैं और अपने बचाव के लिए हर तरह का प्रयास कर रहे हैं. एक जागरूकता दिखाई दे रही है लोगों में, जो भी सड़क पर या बाजारों में दिखाई दे रहे हैं.
यह अच्छा संकेत है कि लोगों में भय नहीं है और स्वच्छंद होकर घूम रहे हैं, परंतु एक डर भी है कि कहीं स्वच्छंदता में कोई खतरा ना दिखाई दे. हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि ऐसा कुछ ना हो और लोग सुरक्षित रहें.
बहुत सारे अर्थशास्त्री यह मानकर चल रहे थे कि हमारी अर्थव्यवस्था बहुत बुरी स्थिति में आ गई है और आने वाले समय में सब कुछ निराशाजनक दिखाई पड़ने लगेगा. लोग आर्थिक संकट में रहेंगे और लोगों की रोजी-रोटी के लिए बहुत बड़ा संकट उत्पन्न हो जाएगा. यह सच भी है क्योंकि बहुत सारे कल-कारखाने बंद हैं और उनको खोलने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन यह भी सच है कि बहुत सारे उद्योगपति और कारखाने के मालिक अब जल्द से जल्द अपना कार्य शुरू करना चाह रहे हैं और अपने वर्कर्स को व कामगारों को वापस बुला रहे हैं. यहां तक भी देखा गया है कि बहुत से कारखाने के मालिक अपने कामगारों को रोक रहे हैं ताकि पलायन ना करें और आने वाले समय में अधिक से अधिक काम उनको मिले.
यह भी देखा जा रहा है कि कुछ कारखाने वालों को ऑर्डर मिल रहे हैं और ऐसी रिपोर्ट भी आ रही है कि उन्होंने अपना उत्पादन बढ़ा दिया है, ताकि आसानी से सप्लाई किया जा सके. यह बहुत बड़ा शुभ संकेत है और बहुत सारे लोगों की प्रतिक्रिया भी आ रही है. लगता है कि हमारी अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने में इस तरह की परिस्थितियां बहुत सहयोग प्रदान  करेंगी. हमारे कामगारों को फैक्टरी मालिकों को और बाजार को एक नई दिशा प्रदान करेगी. इसके साथ ही एक रिपोर्ट यह भी देखने को मिल रही है कि स्टार्ट शुरू हो रहे हैं जो कि ऐसे प्रोडक्ट जो आयात किए जा रहे थे उनको देखकर अपने प्रोडक्ट देश में निर्मित हो सकें. उनको बनाने बेचने का प्रयत्न किया जा रहा है. रिसर्च चल रही है और ऐसी रिपोर्ट आ रही है कि हर छोटी-छोटी जगहों पर भी लोग नए-नए तरीके ढूंढ रहे हैं ताकि अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सकें.
प्रधानमंत्री का यह संदेश की लोकल लेवल पर उत्पादन किया जाए और ऐसी वस्तुओं को चुना जाए जो लोकल लेवल पर उपलब्ध हो सके बनाई जा सके और जिसका की उत्पादन और वितरण पूरे देश में हो सके, ताकि बाहर से आने वाली वस्तुओं को रिप्लेस किया जा सके. यह सोच आने वाले समय में बहुत बड़ी सफलता प्राप्त कर सकती है और अर्थव्यवस्था को समुचित संजीवनी प्रदान कर सकती है. इस संबंध में यह भी जानना बहुत आवश्यक है कि बहुत सारे लोकल मनुफक्चरर्स यानी स्थानीय उत्पादन करने वाले लोग उन कामगारों को जो बाहर से लौट कर आए हैं और जिन्हें प्रवासी मजदूर कहा जाता है, उनकी योग्यता को देखते हुए उनको नए-नए काम देने का प्रयत्न कर रहे हैं, ताकि एक तो उन को रोजगार मिल सके दूसरे उनकी योग्यता के बल पर अपना व्यापार बढ़ा सकें. नए प्रयोग कर सकें नई क्वालिटी दे सके ताकि जो बड़े ब्रांड है जो विदेशी ब्रांड है उनको रिप्लेस किया जा सके. यह सोच आने वाले समय में बहुत बड़ा योगदान, दिशा देने वाली है जो कि हमारी अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा परिवर्तन ला सकती है.
सरकार की नीतियां देखने को मिल रही है जिसके अनुसार छोटे कामगारों को छोटे व्यापारियों को छोटे उद्योगपतियों को किसी भी तरह की मदद करके उनको खड़ा किया जा सके जिन्होंने नुकसान उठाया है. हो सकता है कि आने वाले समय में यही छोटी इकाइयां संभल कर खड़ी हो जाए और बड़ा रूप देकर बड़ा काम शुरू कर सकें. आशा है कि इस तरह की परिस्थितियों में अगर सभी लोग सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़े तो हमारी अर्थव्यवस्था वापस पटरी पर आ जाएगी और अर्थशास्त्रियों का यह अनुमान कि हमारी अर्थव्यवस्था बहुत संकट में हैं जिसको बहुत जल्दी संजीवनी मिल जाएगी और यह दोबारा पटरी पर लौट आए.