पांचवें आश्रम की खोज में

हाल के सालों में कुछ उच्‍च कोटि के नीच बाबाओं के जो भ्रष्‍टाचार और व्‍यभिचार के कांड खुले हैं, उन सबको एक कथासूत्र में बांधकर, फिक्‍शनल कस्‍बे काशीपुर के बाबा निराला उर्फ मोंटी को रचा है प्रकाश झा ने। पहली नजर में गुरमीत राम रहीम सिंह से ज्‍यादा प्रेरित लगता है, ट्रिगर के लायक तो वह है ही, पर धीरे-धीरे कथा जब आगे बढ़ती है तो हमारे समय के सारे कुख्‍यात बाबाओं के जीवन का कोलाज बन जाता है ‘आश्रम’…   फ्रांज काफ्का ने कहा था – ‘हर महान किस्‍मत के पीछे अपराध होता है’। धर्म, अध्‍यात्‍म और आस्‍था ये तीनों कुल मिलाकर किसी पारलौकिक सत्‍ता के प्रकाश में इहलौकिक जीवन को बेहतर बनाने की कोशिशे हैं। ओटीटी प्‍लेटफॉर्म एमएक्‍स प्‍लेयर के लिए प्रकाश झा निर्देशित वेबसिरीज ‘आश्रम‘ देखे कई दिन हो गए। लिखने का मन बनाने में वक्‍त लगा, शायद इसलिए कि यह आस्‍था का विषय है। धर्म और … Continue reading पांचवें आश्रम की खोज में