Everything happens in the mind first. तन की सभी बीमारियां मन में शुरू होती हैं।
यहां तक कि संक्रमण भी उन्हीं लोगों को प्रभावित करता है जिनकी प्रतिरोधक शक्ति उनकी मानसिक उथल-पुथल के कारण कम हो चुकी होती है। There is a general consensus amongst different medical specialties on atypical personalities and mindsets of their patients. लगभग सभी मरीजों को बीमार पड़ने से पहले रोजमर्रा में अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में दिक्कत महसूस हो रही होती है।
Disease is your body’s ways of saying that the way you are leading your life is not good. जज़्बात जिस्म पर ज़ाहिर होते हैं। Thoughts and feelings activate the neuronal pathways and bring about changes in the levels of neurotransmitters within the synapses of these neuronal pathways, हार्मोन को अव्यवस्थित करते – कभी अवरुद्ध करते और कभी बढ़ाते हैं।
Off-balanced serum levels of hormones eventually impact the organs and your body’s weak spots. त्वचा हमारा सबसे बड़ा अंग है और सहज में घायल होने वाला हिस्सा भी। Subconscious emotions of irritation, annoyance and even shame are displayed on our skin, literally making it hot, red and broken. अंगों की आंतरिक परत भी इसी तरह प्रभावित होती है।
Common physical signs of stress include a racing heart, sweaty palms, tense muscles and ‘butterflies’ in the stomach. लेकिन अगर कोई इन शुरुआती चेतावनी देते संकेतों को नज़रअंदाज़ करता है, तो मन का तनाव उसके पेट की आंतरिक परत को तोड़ देता है, जिससे एसिडिटी हो जाती है। You can use antacids for relief but unless the root cause is addressed, how can the problem of acidity be solved? आप एसिडिटी को दवा से बेअसर तो कर सकते हैं, लेकिन कुछ ही घंटों में वह फिर वापस आ जाती है।
So what one must do? Do not drag your mind in the search of truth, whatever you find, big or small, will be only a part of the whole truth. इसके बजाय, अपनी आत्मा में गहरी डुबकी लगाओ, अहसास को रूह से महसूस करो, सच को किसी नाम से जानने की कोशिश न करो। बीमारी को अपने रूहानी विकास का मार्ग समझो। Find the guiding hand of Spirit underneath your pain or symptoms. Once you start experiencing your body as a divine container for your Spirit, आपको सुकून मिलेगा, चाहे आपका शरीर कितना भी बीमार या टूटा हुआ क्यों न हो।
A few simple changes to the way you think could make a big difference to your physical हेल्थ। अपने शरीर, अपने डॉक्टर, अपनी खुराक और अपनी बीमारी को ठीक करने के लिए जो दवा ले रहे हैं, उस पर विश्वास करें।
Think positive. बीमारी कोई सज़ा नहीं है। यह एक वेक-अप कॉल है। It is a chance to correct your wrong lifestyle. If you work on these things, everything will be fine.
Most importantly, trust people. शायर अहमद फ़राज़ ने कहा है, ढूँढ़ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती, ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें । Only then can you start trusting yourself as a part of the big system which connects everything and everyone, including past, present and future. जीवन का असली मकसद तौहीद के इस एक राज़ को जानना है।
But why does the mind go against the soul in the first place? आख़िरकार दिमाग़ और दिल में अदावत क्यों है? इसका जवाब अगले हफ़्ते।