दिन में घनघोर बारिश ? हो रही थी। आकाश में काली घटायें ☁ छाई हुई थीं, ऐसा लग रहा था कि बारिश रुकेगी नहीं परन्तु कुछ घंटे बाद बारिश थम गई। आकाश में दो इन्द्रधनुष ? निकले थे। काले-सफेद-नारंगी रंगों के चमकीले बादल तैर रहे थे। बड़ा ही मनोरम दृश्य था।

मैं और मेरी बेटी (शिवा) टेरेस पर गमलों में लगे पौधों से घिरे बैठ कर चाय पीते हुए मौसम का आनंद ले रहे थे। अपने घर ? की बालकनी की अनुभूति ही अलग होती है। हमलोग इस घर में जब से आये हैं, पहली बार इस प्रकार से बैठे थे। बातचीत करते-करते अतीत के गलियारे में पहुँच गए।

दिल्ली-एनसीआर में अपने घर ? का सपना आँखों में तैर रहा था तब। पर यह सब सम्भव कैसे हो, कुछ समझ में नहीं आ रहा था। किराये के मकान ? में रहते हुए तथा कुछेक सालों में ही जल्दी-जल्दी मकान बदलते हुए हमलोग थक गए थे। परिचित लोगों से मकान खरीदने की बात हमलोग करते रहे। बहुत से मकान देखे पर कुछ पसंद नहीं आये तो कुछ बजट से बाहर थे। आशा निराशा में बदल रही थी, कुछ समझ में नहीं आ रहा था, पर कहते हैं कि भगवान के घर देर है; अंधेर नहीं है।

बात करते रहे, चर्चा चलाते रहे, फिर एक परिचित ने कहीं एक मकान बताया। हमलोगों ने उसे देखा और उसे देखते ही ऐसा लगा कि यह घर हमें बुला रहा है, बिलकुल अपना है। कोई शक्ति थी जो हमें वहाँ लाई थी। हम लोगों ने इस घर को खरीदने का विचार बना लिया। कुछ धन था, कुछ का इंतजाम करना था। शिवा ने होम लोन लेने का मन बनाया। उसके लिए दौड़-भाग आरम्भ हुई। बड़ा कठिन कार्य था। एक समय ऐसा आया, लगा कि लोन नहीं हो पायेगा। एडवांस दे दिया था और कहीं से भी रुपये का इंतजाम नहीं हो पा रहा था। हमलोग हताश हो गये थे पर कोई शक्ति तो थी जिसने बैंक से लोन का प्रबंध करवाया। निराशा में आशा की किरण फूटी। लोन की प्रक्रिया पूरी होते ही घर ले लिया। गृह प्रवेश करते ही लॉकडाउन हो गया और उसमें बेटी की सर्विस छूट गई।

अब समस्या थी कि लोन की किश्त कैसे भरी जायेगी? उस पर आर्थिक संकट आ गया। बेटी बहुत परेशान हो गई। वो इस परिस्थिति में नये रोजगार के अवसर तलाशने लगी। ऑनलाइन कई काम करे, अपनी एक वेब मैगज़ीन आरम्भ की व दोस्तों-परिचित लोगों के सहयोग से उसे आत्मविश्वास के साथ चलाने लगी थी। कई जगह पर नौकरी के लिए आवेदन भी साथ किया। इस प्रकार से तीन-चार महीने का समय बीत गया। एक कम्पनी में फिर उसे जॉब मिल गई। अब लोन की चिंता कम हो गई।

यह समय ऊपर वाले की कृपा से बीत गया। उसके रहमोकरम के हाथ बहुत लम्बे हैं। वो अपनी ताकत का एहसास दिलाता रहता है। जब-जब हमलोग बहुत परेशान हुए, उसका सहारा मिला। कितनी बार उसकी शक्ति का एहसास हुआ है। कोई तो है; किसी न किसी रूप में वह सामने आया है। बस जिस शक्ति को मानते हैं, उस पर आस्था बनाये रखिये। आस्था का वितान बहुत बड़ा है। उस पर विश्वास बनाये रखिये। हाँ, काम होने में वक्त लग सकता है, पर होता अवश्य है बस-

हारिये न हिम्मत, बिसारियो न राम।
बन जायेंगे सगरे काम।।

Image Source : Harshlata Harsh