Da Ni

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आस्था का वितान

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दिन में घनघोर बारिश ? हो रही थी। आकाश में काली घटायें ☁ छाई हुई थीं, ऐसा लग रहा था कि बारिश रुकेगी नहीं परन्तु कुछ घंटे बाद बारिश थम गई। आकाश में दो इन्द्रधनुष ? निकले थे। काले-सफेद-नारंगी रंगों के चमकीले बादल तैर रहे...

आज़माये हुये देशी नुस्खे

Da Ni
आजकल घर से बाहर निकलना सुरक्षित नहीं है। ऐसी स्थिति में किसी तकलीफ के होने पर प्राथमिक उपचार की आवश्यकता होती है। इसके लिए कुछ घरेलू नुस्खे बता रही हूँ। अक्सर सब्जी-फल काटते समय चाकू से उंगली या हाथ कट जाता है। कभी चोट गहरी...

बेरोजगारी

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झरोखे से झाँकता चाँद मैं कमरे में खड़ी थी, अचानक दरवाजे पे नजर पड़ी थी, झरोखे से झाँक रहा था आधा चाँद, मद्धिम पीली आभा के साथ। अवगुंठन में छुपा के मुखड़ा, देख रही प्रियतम को प्रियतमा, फिर लगा कि देख रहे हो तुम, अपने...

सुरक्षित दूरियाँ v/s छूआछूत

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जब से कोरोना वायरस आया है तब से सोशल डिस्टेेंसिग की बात हो रही है, मतलब सुरक्षित दूरियाँ। यह सुन कर तथा पढ़ कर मुझे अजीब लग रहा है। कहते हैं कि समाज में मिल कर रहना चाहिए। मनुष्य सामाजिक प्राणी है फिर यह दूरी,...

आज के संदर्भ में – सीता और द्रोपदी

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टेलीविजन पर आजकल रामायण और महाभारत का प्रसारण हो रहा है। प्रसारण देखते-देखते दिमाग में विचार आने लगा कि नारी सदैव असुरक्षित और असहाय क्यों है? सदैव समाज और पुरुषों के द्वारा छली जाती है। क्यों? क्योंकि वो नारी है। सतयुग, त्रेता, द्वापर या कलयुग...

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उस दिन सुबह समाचार देखने के लिए टेलीविजन खोला तो शराब की दुकान पर शराब खरीदने के लिए लम्बी लाइनों को देखकर विचलित हो गई। हम सब लोग घरों में बंद हैं। बीस मार्च से घर के दरवाज़ों से बाहर नहीं निकले हैं। पूर्ण लॉक...

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दा नी-(दादी +नानी) एक माह बीत गये घर में रहते हुए, लगभग पूरा देश अपने-अपने घर में बंद है। घर में रह नहीं रहे हैं बल्कि कैद हैं जैसे, सारे काम-काज बंद हैं, रोजी-रोटी बंद पड़ी है, व्यक्तिगत तौर पर हर कोई परेशान है। प्रत्येक...

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दानी (दा यानी दादी, नी यानी नानी) आज का परिवेश भयावह है। सबलोग दहशत में जी रहे हैं।। लगता है कि अगली सांस स्वस्थ आयेगी कि बीमारी वाली होगी। यही सोचते हुए सत्तर-अस्सी साल पहले के पुराने वर्षों में पहुँच गई — कितनी शुद्ध और...