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Da Ni की कलम से - 3

by Da Ni
May 6, 2020August 26, 2020227

उस दिन सुबह समाचार देखने के लिए टेलीविजन खोला तो शराब की दुकान पर शराब खरीदने के लिए लम्बी लाइनों को देखकर विचलित हो गई। हम सब लोग घरों में बंद हैं। बीस मार्च से घर के दरवाज़ों से बाहर नहीं निकले हैं। पूर्ण लॉक डाउन जो हो गया था।

ऐसा प्रतीत होता था कि कोरोना वायरस कुछ दिनों में चला जाएगा, पर इस बीच में तबलीगी जमात के, और कुछ और लोगों में वायरस मिलने से यह अधिक फैल गया। एक निराशा आई पर लगा कि चलो कुछ दिनों और सही, फिर खुल जायेगा। पर अब जो टीवी पर देखा तो उससे बहुत अशांति हुई। इस प्रकार से तो इस वायरस का प्रकोप कम ही नहीं होगा। जो लोग पूर्ण तालाबंदी का पालन कर रहे हैं वे अपने गंतव्य तक जल्दी नहीं पहुंच पाएंगे।

मैं एक साधारण नागरिक हूँ। मुझे राजनीति से कोई मतलब नहीं है। पर आम जनता के लिए सरकार क्यों नहीं सोचती है!

नोट बंदी का ऐलान शाम को करके रात को लागू कर दिया, जनता को इस परिस्थिति से निपटने का समय ही नहीं मिला। सुबह हुई तो जरूरत के सामान खरीदने के लिए नोट नहीं चल रहे थे। जिसका इस स्थिति से सामना हुआ है वही समझ सकता है कि कैसी समस्या आ खड़ी हुई थी। धीरे-धीरे इस व्यवस्था में ढल गये हम सब।

पर अब अचानक यह वायरस आ गया। तालाबंदी हो गई। इसमें भी हमलोगों ने सरकार की बात मानी। घरों में रह कर सब एडजस्ट कर रहे थे। पर शराब की दुकानें खोल कर कोरोना वायरस को खुला निमंत्रण दे दिया।

जहाँ मोदी जी को नागरिकों की इतनी चिंता थी, वहाँ ऐसा क्या प्रस्ताव आ गया कि उन्होंने शराब बिक्री की खुली छूट दे दी। अब ये कह सकते हैं कि यह राज्य सरकार का निर्णय है पर नोट बंदी, लॉक डाउन तो मोदी सरकार का निर्णय था जिसे पूरे देश ने माना।

यदि शराब बिक्री जरूरी थी तो कोई दूसरा रास्ता अपनाते। उसे भी दूसरे सामानों की तरह घरों में बेचते (और अब शराब की होम डिलीवरी भी शुरू करवा दी गई), कम से कम सड़कों पर भीड़ तो न इकट्ठी होती। कोरोना को फैलाने में सहायक तो न होती। यही स्थिति रही तो मुझे नहीं लगता है कि यह वायरस जल्दी जायेगा। यह अपने पैर जमा लेगा हमारे आसपास।

लाभ के लिए सरकार ने नागरिक के हित के बारे में नहीं सोचा। इस प्रकार से पहले वाली स्थिति आ ही नहीं पाएगी। वरिष्ठ लोग तो अपने घर में बंद हो कर रह जायेंगे। उनका सामाजिक दायरा समाप्त हो जायेगा। वे मानसिक रूप से बीमार हो जायेंगे। वरिष्ठों की परिस्थिति भयावह हो जायेगी। और साथ ही घरेलू हिंसा बढ़ती जाने की बात भी सामने आने लगी है।

आप सब, ज़रा अपनी और अपने परिवार की सुध लें. साथ बिताने को जो यह समय मिला है उसे अच्छी और सुहानी याद बनाने की कोशिश करें. घर में बच्चे, वरिष्ठ और जो आपका साथी है, उनको अपने साथ और प्यार से सराबोर कर दें. और देखिए वो भी आपको अपने स्नेह से भर देंगे.

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