कथा साहित्य किस्से कहानियांपर्फेक्ट दामाद : चैताली थानवी की लिखीChaitali ThanviJanuary 10, 2021January 10, 2021 by Chaitali ThanviJanuary 10, 2021January 10, 202179 आज उनसे मुलाकात होगी, फिर आमने-सामने बात होगी… गाना गुनगुनाते हुए मैं पैकिंग कर रहा था| पर मेरा बैग बंद ही नहीं हो रहा था| मैं बैग के ऊपर चढ़ कर उसे बंद करने की कोशिश कर रहा था और भाई की आवाज़ आए जा...
कथा साहित्य किस्से कहानियांइज़्ज़त की सीख : समीर रावल की लिखीSameer RawalDecember 20, 2020December 20, 2020 by Sameer RawalDecember 20, 2020December 20, 2020561 पाँच साल बीत चुके हैं, बात उन दिनों की है जब मैं एंजिनियरिंग कॉलेज से पढ़ाई ख़त्म कर निकला ही था। क़िस्मत अच्छी रही कि पहले या दूसरे इंटरव्यू में ही एक बड़ी कम्पनी ने मुझे नौकरी दे दी। छह महीने उनके गुरुग्राम औफिस में...
कथा साहित्य किस्से कहानियांफटे जूते : सत्यदीप त्रिवेदी की लिखीSatyaaDeep TrivediNovember 23, 2020December 6, 2020 by SatyaaDeep TrivediNovember 23, 2020December 6, 202034 जूते, यों पहने तो पैरों में जाते हैं, पर इनके ठाठ बहुतेरे हैं। भारतीय समाज में सिर के ताज की भी इतनी पूछ नहीं होती, जितनी इन जूतों की होती है। कहते हैं कि इंसान की परख उसके जूतों से हो जाया करती है। किसी...
कथा साहित्य किस्से कहानियांउम्मीद की किरण : डिम्पल अनमोल रस्तोगी की लिखीDimple Anmol RastogiOctober 27, 2020October 27, 2020 by Dimple Anmol RastogiOctober 27, 2020October 27, 2020336 किसी दिन मेरी बेटी भी कलेक्टर बनेगी! बस यूँ ही सोचते-सोचते कब सीमा की आँख लग गयी उसे पता ही नहीं चला। सुबह उठकर उसने अपने पास सो रही अपनी 7 वर्षीय बेटी निक्की को प्यार से देखा। कल ही की तो बात है, ना...
कथा साहित्य किस्से कहानियांला फिएस्ता !Swa:BaniOctober 24, 2020October 24, 2020 by Swa:BaniOctober 24, 2020October 24, 20201431 “पंखिड़ा… ओ ओ पंखिड़ा…” मुरली गाने की तेज़ आवाज़ से हड़बड़ा के उठ बैठा. अपनी आँखें जबरन खोलने की कोशिश करते हुए वह अलार्म घड़ी तक पहुंचा और उसे बंद किया. घड़ी उठाकर देखा तो सुबह के सात बज रहे थे. उसे अभी तक कुछ...
कथा साहित्य किस्से कहानियांतालाब एक दलदल है : सत्यदीप त्रिवेदी की लिखीSatyaaDeep TrivediOctober 5, 2020November 2, 2020 by SatyaaDeep TrivediOctober 5, 2020November 2, 202053 किसी गाँव में एक तालाब था – साफ़-सुथरा, सजीला सा। ग्रामीण उसकी पूजा किया करते थे। उसमें नहाकर ख़ुद को धन्य-धन्य समझते थे। बड़ी श्रद्धा से उसके पानी को सर पर लगाते थे। तालाब के पानी से गाँव भर की ज़रूरतें पूरी होतीं थीं। खेतों...
कथा साहित्य किस्से कहानियांहोनी : समीर रावल की लिखीSameer RawalOctober 3, 2020October 3, 2020 by Sameer RawalOctober 3, 2020October 3, 20201370 दस साल का फ़िरोज़ अपनी अम्मी के बग़ैर नहीं रह पाता था। सुबह-सुबह अम्मी ही उसे प्यार से चूल्हा जलाते-जलाते आवाज़ लगाकर उठाती, वो फिर भी अनसुना कर देता। फिर अम्मी उसके पास आती, उसे जी-भर के चूमती, गले लगाती और उठने को कहती। ये...
कथा साहित्य किस्से कहानियांउड़ने की कला : चैताली थानवी की लिखीChaitali ThanviSeptember 26, 2020November 2, 2020 by Chaitali ThanviSeptember 26, 2020November 2, 202062 बाहर तेज़ बारिश हो रही थी। ऋतु खिड़की के पास कुर्सी लगाए गुलमोहर के पेड़ को देख रही थी, जो उसके खिड़की के बहुत करीब था। ऋतु के एक हाथ में डाइरी थी और दूसरे हाथ में पेन। वो खिड़की के बाहर देखती और डायरी...
कथा साहित्य किस्से कहानियांलेखक की प्रेमकथा : सत्यदीप त्रिवेदी की लिखीSatyaaDeep TrivediSeptember 14, 2020December 6, 2020 by SatyaaDeep TrivediSeptember 14, 2020December 6, 202034 “तुम कुछ करते क्यों नहीं..?” “ऊँ ? करते तो हैं।” “क्या” “लिखते हैं।” “ओफ्फो, अरे आगे के लिए। जीने के लिए?” “करते तो हैं।” “क्या करते हो?” “तुमसे इश्क़।” लड़के ने गर्दन को कुछ अंदर की तरफ़ समेटते हुए, बिला वज़ह की नज़ाक़त से कहा।...
कथा साहित्य किस्से कहानियांज़ीरो : कहानी सत्यदीप त्रिवेदी की लिखीSatyaaDeep TrivediAugust 14, 2020August 24, 2020 by SatyaaDeep TrivediAugust 14, 2020August 24, 202085 शून्य यानी ज़ीरो। इसकी महिमा भी अपरंपार है साहब। देखिये तो कुछ नहीं है और देखिये तो बहुत कुछ है। पुरानी हिंदी फिल्मों में ग़रीब हीरो जब अपनी माशूक़ यानी हीरोइन का हाथ मांगने उसके घर जाता था, तब हीरोइन का खूसट बाप उसकी मुफ़लिसी...