सूर्य आवेशित पानी ( sun charged water ): कैसे बनाएं , लाभ और तथ्य , कितना सच ? एक पड़ताल

सूर्य और जल , दोनों ही जीवन का आधार कहे गए हैं , जानते तो हम सभी हैं की सूर्य की पर्याप्त गर्मी और जल की उपलब्धि के कारण ही पृथ्वी ठीक उस रूप में परिवर्तित हुई जिसके होने से यहाँ जीवन की संभावनाओं ने जन्म लिया , इसी सूर्य की गर्मी और रौशनी तथा जल के मिलने से बनता सूर्य आवेशित जल , जो शरीर के लिए बहुत गुणकारी माना गया है |

पानी हमारे दैनिक जीवन का वो आधार है जिसकी हमें हर काम में ज़रूरत होती है , जिस तरह पृथ्वी में लगभग 70 % जल है ठीक उसी तरह  मानव शरीर में भी जल की बहुत बड़ी मात्रा पाई जाती है , पानी मानव शरीर  के पोषण का आधार माना गया है और इस पोषण के लिए यह भी आवश्यक है कि हम जल का सेवन किस तरह करते हैं , आपने पानी को सही ढंग से पीने के कई नुस्खों के बारे में पढ़ा सुना होगा और ये भी जानते होंगे की भोजन के कितनी देर पहले या बाद , या सोने के कितनी देर पहले और उठने के बाद कब पानी पीना चाहिए पर पानी को चार्ज कैसे किया जाए ये जानकारी भी शरीर के रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है |

एक समय था जब ज्यादातर सभी लोगों को झीलों या नदियों का साफ़ पानी, पीने के लिए उपलब्ध था ,उस समय आप बस मिट्टी  छानकर पानी पी  सकते थे और हमें जल की शुद्धता की चिंता करने की आवश्यकता ही नहीं थी  पर आज के समय में जब पानी नदियों या झीलों से टंकियों से घरों तक आता है और उसे घर तक पहुँचाने में लोहे के पाइप  प्रयोग में लिए जाते हैं जो कई बार जंग लगे हुए होते हैं तो ऐसे समय में जल की शुद्ध्ता  पर बात करना मुश्किल होता है क्योंकि हम तक पहुँचते पहुँचते ये पानी अपने सभी प्राकृतिक गुण खो देता है , शायद इसीलिए इसे आयुर्वेद में  “मृत जल”  कहा जाता है |

आयुर्वेद के अनुसार सूर्य की किरणों में वो शक्ति होती है जो जल को आवेशित करके उसे “मृत जल” से  “जीवनदायी जीवित जल ” में परिवर्तित कर देती है ,  यह सूर्य आवेशित जल एंटी फंगल , एंटी बक्टिरियल हो जाता है जो मानव जीवन के लिए वरदान की तरह है|

सूर्य आवेशित जल (sun charged water ) क्या है ?

आयुर्वेद में इसे  सूर्य चिकित्सा के नाम से जाना जाता है , समय शब्दों में कहा जाए तो सामान्य पानी जिसे एक निश्चित समय के लिए और ठीक तरह के बर्तन में  सूर्य की रौशनी में रखा जाता है तो वो  सूर्य की लाभकारी किरणों से प्रभावित होकर बेक्टीरिया से मुक्त और शरीर के लिए आवश्यक  मिनरल से परिपूर्ण हो जाता है , यही सूर्य आवेशित जल है |  ऐसा नहीं  है कि केवल भारत में ही इसका प्रयोग किया जाता है  विभिन्न एशियन , यूरोपीय देशों और अमेरिका में भी इस पानी का सेवन करने वाले लोग आपको मिल जाएंगे |स्थान के हिसाब से अलग अलग लोग पानी को चार्ज करने के लिए सूर्य की रौशनी के साथ कुछ  क्रिस्टल और कुछ पत्थरों के प्रयोग के बारे में भी बात करते रहे हैं पर इन सभी विधियों में मुख्य  बात एक ही है और वो है सूर्य की रौशनी…

सूर्य आवेशित जल (sun charged water ) के लाभ :

  1. सूरज की रौशनी से चार्ज किए हुए पानी से शरीर में उर्जा की वृद्धि होती है ।
  2. आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार  इसको सही ढंग से बनाकर पीने से चिकित्सकीय लाभ भी देखने को मिले हैं ।
  3. इस जल के सेवन से जठराग्नि (digestive fire ) बेहतर होती है ।
  4. इसके नियमित सेवन से आखों की रौशनी बढ़ने और त्वचा साफ़ होने, शरीर से दाग धब्बे झाइयाँ मिटने  के लाभ भी मिलते हैं.
  5. इसे शरीर के अन्दर के उत्तकों के निर्माण के लिए भी अच्छा माना गया है ।
  6. ये पानी शरीर  में विटामिन डी की कमी भी पूरी करता है |
  7. नींद संबंदी बीमारी, खाना हजम न होना, भूख न लगना , डिप्रेशन  जैसी समस्याओं में भी इस पानी के सेवन की सलाह दी जात रही  है |
  8. दिमाग की शक्ति बढाने के लिए भी ये पानी अच्छा माना जाता है |
  9. इम्युनिटी बढाने के लिए भी इस पानी को कारगर माना  जाता है |

सूर्य आवेशित जल बनाने की विधी : 

सूर्य आवेशित जल बनाना  बहुत आसान काम है पर इसमें कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होता है , सबसे पहले इसे बनाने के सही तरीके के बारे में जानते हैं :  कांच  की एक पारदर्शी बोतल लीजिए  और इसे अच्छी तरह धोकर सुखा लीजिए , ध्यान रहे इसमें बिना  छने पानी के अवशेष न रहे ,अब इसमें साफ़ पानी भर लीजिए जिसे आप सामान्यत: पीते हैं । इसके बाद इस बोतल को ढक्कन लगाकर कम से कम 8 घंटे के लिए ऐसी जगह रख दीजिये जहाँ सूर्य की रौशनी इस बोतल पर पड़ती रहे , यानि आपको इस बोतल को सुबह  से शाम तक सूर्य की रौशनी में रखना है , मूल विधि में इस बोतल को ३  दिन तक , 8 घंटे के लिए सूर्य की रौशनी में रखने के लिए कहा जाता है , लेकिन आप कम से कम एक दिन के लिए अवश्य कीजिये । बस ८ घंटे के बाद ये पानी पीने के लिए एकदम तैयार है ।

ध्यान रखने योग्य बातें:

  • इस पानी को चार्ज होने के बाद फ्रिज में नहीं रखना है , ऐसा करने से पानी के मिनरल्स पर प्रभाव पड़ता है |
  • आप चाहें तो मिट्टी  के उथले और खुले मुंह वाले बर्तन का भी प्रयोग कर सकते हैं पर ऐसी स्तिथि में पानी को ढककर नहीं रखा जा सकता तो पानी को धूल  मिटटी और कीडे मकोड़ों से भी बचाना होगा |
  •  तैयार होने के बाद अधिकतम 24 घंटे के अन्दर इस पानी का सेवन कर लें |
  • अगर पानी ज्यादा मात्र में है तो ध्यान रखें रात में ये बाहर खुले में (बोतल को ) न छोडें क्योंकि सूर्य आवेशित जल पर चंद्रमा की किरणें लम्बे समय तक पड़ने पर उसकी उर्जा कम होती है । अगर आप चन्द्र आवेशित जल बनाना चाहते हैं  तो उसे उसकी सही विधि से बनाएं.
  • वैसे ये पानी सभी के लिए सेफ है पर अगर आपके शरीर में अग्नि तत्त्व की अधिकता है या  आप पहले से किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं तो अपने डॉक्टर की सलाह से ही इसका सेवन करें ।

पानी को सूर्य आवेशित करने के साथ ही कलर थेरेपी का भी प्रयोग किया जाता है , जिसमे अलग अलग रंग की कांच की बोतल का प्रयोग करके पानी को सूर्य आवेशित किया जाता है और उसे अलग अलग बिमारियों के इलाज के लिए प्रयोग में लिया जाता है , इसी के साथ अलग अलग साइज़ का क्रिस्टल या रंगीन पत्थर डालकर भी सूर्य आवेशित जल बनाया जाता है |

सूर्य आवेशित जल को जीवन उर्जा देने वाला माना जाता है , अगर आप सुस्ती महसूस करते हैं या आपको लगता है की आपकी मानसिक या शारीरिक उर्जा कम हो रही है तो आप इस पानी का प्रयोग कर सकते हैं , इसी के साथ शरीर के चक्रों को जागृत करने के लिए भी इस पानी का प्रयोग  किया जाता है । इस पानी को प्रयोग में लेने से किसी तरह के नुक्सान की पुष्टि नहीं हुई है , इसलिए आप इसे बिना किसी डर के गर्मी एवं ठण्ड दोनों ही मौसमों में आजमाकर देख सकते हैं |

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