अंगदान : मरने के बाद दें जीवन का वरदान

आप लोग सोच रहे होंगे मैं यह क्या बेवक़ूफ़ी भरी बात कर रही हूँ। यह कैसे सम्भव है? मरने के बाद जीवन का वरदान देना, भला यह भी कोई बात हुई। ना ना मुझे कोई मंत्र सिद्धि भी प्राप्त नहीं हुई है जिसका प्रयोग कर मैं अमर रह सकूँ। फिर आख़िर ऐसा क्या तरीक़ा मुझे पता चला है!

आइए, आज मैं आपको ऐसा ही बड़ा ख़ूबसूरत तरीक़ा बताने जा रही हूँ। जो मृत्यु के बाद भी आपको ज़िंदा रखेगा, जीवन का वरदान देने काबिल रखेगा और वो तरीक़ा है – मृत्यु पश्चात अपने स्वस्थ अंग दान कर देना यानि “Organ Donation” (अंग दान).

अंगदान (Organ Donation) क्या है –

किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति के शरीर से ऊतक (tissue) या किसी अंग (organ) का दान करना अंगदान कहलाता है।
यह अंग या ऊतक किसी दूसरे जीवित व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है !
अंगदाता 2 प्रकार के होते हैं :
१- जीवित दाता
२- मृत दाता

जीवित रहते हुए निम्न अंग दान किए जा सकते हैं :

1 – यकृत (liver) यकृत में पुनः निर्माण की क्षमता होती है यदि इसका एक हिस्सा दान कर भी दिया जाए तो यह कुछ समय में पुनः अपनी उसी स्थिति में आ जाता है !
2 – 2 गुर्दों में एक गुर्दा (kidney) – क्यूँकि मनुष्य एक गुर्दे पर भी जीवित रह सकता है।
3 – अग्न्याशय का कुछ हिस्सा (part of pancreas)
4 – आँतों का कुछ हिस्सा (part of intestines)
5 – फेफड़े (lungs) – फेफड़ों का भी एक भाग दान किया जा सकता है।
मस्तिष्क की मृत्यु होने पर निम्न अंगों को दान किया जा सकता है – हृदय, यकृत, अग्न्याशय, आँतों का हिस्सा, दोनों में से एक गुर्दा, फेफड़ों का हिस्सा.
प्राकृतिक मौत के पश्चात निम्न अंगों और टिश्यू को दान किया जा सकता है –
कॉर्निया, हड्डियाँ, त्वचा, नसें, ऊतक, हृदय के वॉल्व आदि।

एक दाता आठ लोगों की जिंदगियां बचा सकता है। अंगदान करने के लिए आप अपने शहर या आसपास किसी अस्पताल या संस्था से सम्पर्क कर सकते हैं या निम्नलिखित संगठनों में अंगदान किया जा सकता है :

1- मोहन फ़ाउंडेशन
www.Mohanfoundation.org

2 – डोनेट लाइफ़ इंडिया फ़ाउंडेशन
www.donatelifeindia.org

3 – ऑर्गन इंडिया
organindia.org

4 -राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन ( नोट्टो )
www.notto.nic.in

कोई भी व्यक्ति अपने जीवन काल के दौरान अपने अंगदान करने की प्रतिज्ञा ले सकता है। किसी भी संगठन को सम्पर्क करने पर वो आपको ऑनलाइन फ़ॉर्म देगा। उसे सबमिट करने पर आपको डोनर कार्ड प्राप्त होगा। कोई भी व्यक्ति अपने जीवनकाल के दौरान अपने अंग दान करने की प्रतिज्ञा ले सकता है।

अंगदान की प्रक्रिया

अंगदान की प्रक्रिया एक सरल प्रक्रिया होती है। केवल स्वस्थ व्यक्ति ही अंगदान कर सकता है ! कैन्सर, मधुमेह, गम्भीर हृदय रोग , एच आइ वी, हेपेटाईटिस आदि रोगों से ग्रस्त व्यक्ति अंगदान नहीं कर सकता।

मैं आपको यह बताना चाहूँगी कि क्या आप जानते हैं, भारत में अंगदान करने वालों की कमी होने के कारण अंग-प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा करने वाले सैकड़ों लोग मर रहे हैं । हमारे देश में हर साल अंगों की उपलब्धता की कमी के कारण लाखों लोगों की मौत हो जाती है। एक दाता आठ लोगों की जिंदगियां बचा सकता है।

मैं आप सभी से प्रार्थना करना चाहती हूँ कि क्यों न आप और हम मिलकर अंगदान करने का जज़्बा अपने अंदर पैदा करें और ऐसा करके दूसरों को जीवनदान दें!

मृत्यु एक सत्य

मृत्यु एक शाश्वत सत्य है। इस सत्य को हमें स्वीकार करना ही होता है । धरती पर कोई भी जीव अमर नहीं है। मृत्यु के पश्चात या तो हमारे शरीर को जला दिया जाता है या दफ़नाकर गला दिया जाता है। क्यूँ ना हम अपने शरीर को यूँ ही मिट्टी में मिल जाने से पहले अपने शरीर के कुछ हिस्सों को दान करके दूसरों के काम आयें।

हममें से बहुत से लोग कहते तो हैं कि अंगदान करना अच्छी बात है किंतु स्वयं आगे नहीं आते। जागरूकता व जानकारी की कमी व कई तरह के अंधविश्वासों के चलते लोग अंगदान के लिए आगे नहीं बढ़ते.

अंगदान की इच्छा

मित्रों अब समय आ चुका है कि हम सब मिलकर अंगदान के लिए आगे आयें। अगर आपके मन में मृत्यु पश्चात अंगदान करने की इच्छा है तो अभी और आज ही अपने परिवार को अपनी इस इच्छा के बारे में बताइए। और साथ ही अपने परिवार के अन्य सदस्यों को भी अंगदान के लिए प्रोत्साहित कीजिए।

जैसे मैंने अपने परिवार में कहा कि मैं मृत्यु पश्चात अंगदान करना चाहती हूँ, यदि मेरी किसी दुर्घटनावश मृत्यु जल्दी भी हो जाती है तो मेरा पूरा शरीर यानि मेरे शरीर का हर वो हिस्सा जो किसी के काम आ सकता है उसे दान कर दिया जाए। और यही मेरी अंतिम इच्छा होगी। मुझे उम्मीद है मेरा परिवार मेरी अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए मेरे अंगदान कर देगा।

इसी तरह आप यदि अपने नेत्र, किडनी या जो भी दान करना चाहते हैं उसके बारे में अपने परिवार को ज़रूर बतायें। और उनसे यह वादा लें कि वो आपकी इच्छा पूरी करेंगे। साथ ही आस-पास अंगदान के लिए संस्था या हॉस्पिटल में रेजिस्टर करवायें। यक़ीन मानिए, आपके अंगदान से बढ़कर कोई दान नहीं। यह महादान है। यह महादान करने से ख़ुद को वंचित ना रखिए। अंगदान कर किसी के जीवन में ख़ुशियाँ लाइए। आपका किया हुआ यह अंगदान किसी की ज़िंदगी को उम्मीदों से भर सकता है। फिर से कहूँगी, अभी और आज ही अपने परिवार को बताइए कि आप मृत्यु पश्चात अंगदान करना चाहते हैं। और अंगदान को लेकर अधिक से अधिक जागरूकता फैलायें।

कोरोना और अंगदान

हमारे देश में हर साल कई लाख लोगों की मौत केवल इसलिए हो जाती है कि उनको प्रत्यारोपण के लिए समय पर जरूरी अंग नहीं मिल पाते. इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते इस अंगदान में क़रीब 70% की कमी आई है, वहीं कोविड-19 के कारण ज़्यादातर अस्पतालों में ऑर्गन ट्रांसप्लांट रुक गए हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो कोरोना काल में अंगदान जैसा ज़रूरी कार्य रुक गया है. उम्मीद करते हैं कि शीघ्र कोरोना बीमारी की रोकथाम हो जाएगी और फिर से अंगदान की प्रक्रिया तेज़ हो जाएगी।

आप इसे भी पढ़ना पसंद करेंगे

कैसे जलाएं मन के दिए

Era Tak

होली 2021 : कब है और कैसे मनाएं इस बार सुरक्षित होली

Chaitali Thanvi

बाबू 420, शोना 420

Dr. Dushyant

नोबेल साहित्‍य पुरस्‍कार में भारतीय दावेदारी

Dr. Dushyant

आखिर अभिमन्यु मारा गया!

Pradeep N. Khare

कोरोना काले, सुविचारित बुद्धि

Era Tak