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विरूपक्षा मूवी रिव्यू

Virupaksha: एक बहतरीन रहस्यमयी कहानी

रिलीज की तारीख: 21 अप्रैल 2023

स्टार कास्ट: साई धरम तेज, समयुक्ता मेनन, अजय, साई चंद, ब्रह्माजी, सुनील, राजीव, सोनिया सिंह इत्यादि

निर्देशक: कार्तिक डाँडू

निर्माता: बी.वी.एस.एन प्रसाद

संगीत निर्देशक: बी अजनीश लोकनाथ

छायांकन: शमदात सईनूद्दीन

संपादक: नवीन नूली

VIRUPAKSHA MOVIE REVIEW तेलुगु के प्रसिद्ध कलाकार साई धरम तेज की यह रहस्यमयी फिल्म 21 अप्रैल को रिलीज हुई है। इसके निर्देशक कार्तिक डांडू हैं जिनकी यह निर्देशक के रूप मे पहली फिल्म है और लीड हिरोइन है Samyukta Menon. रिलीज के पहले से ही यह फिल्म चर्चा मे थी क्यूंकि यह साई धरम के घातक बाइक दुर्घटना के बाद पहली फिल्म है और साथ ही इसकी रहस्यमयी पृष्टभूमि लोगों को काफी पसंद आ रही है। आइए इसकी समीक्षा करते हैं ऑडियंस और क्रिटिक्स दोनों की प्रतिक्रिया के मार्फत और देखते हैं कि यह जनता की उम्मीदों पर खरी उतरी है या नहीं।

यह कहानी रुद्रवणं नाम के एक गाँव मे घटित होती है। इस कहानी की पृष्टभूमि 90 के दशक की है। सूर्या (Sai Dharam Tej) अपनी माँ के साथ काफी समय बाद अपने गाँव आता है। सूर्या की माँ अपने गाँव की जमीन को एक विद्यालय को दान देना चाहती हैं। इसी के बीच सूर्या, गाँव की एक लड़की नंदिनी (Samyukta Menon) से मनमोहित हो जाता है। नंदिनी गाँव के सरपंच, हरिश्चंद्र (Rajiv Kanakala) की बेटी है।

एक तरफ दोनों के बीच रोमांस बढ़ता है और साथ ही साथ कहानी का डरावना पहलू सामने आता है जहां अज्ञात कारणों से गाँव में एक के बाद एक लोगों की मौत होती है। इन अचनाक से होने वाली मौतों का कारण क्या है? सूर्या गाँव मे रहकर इस रहस्य का पर्दाफाश कैसे करता है? यही है आगे की कहानी।

फिल्म के विभिन्न पहलुओं पर  टिप्पणी:-

अभिनय:- साई ने सूर्या के किरदार मे काफी मेहनत की है। साई की पिछली फिल्मों से हटके इस किरदार मे काफी असलियत नजर आती है। समयुक्ता ने भी अपने किरदार के साथ पूरा इंसाफ किया है। गाँव की लकड़ी का किरदार वैसे तो फिल्मों मे काफी आम है पर समयुक्ता ने अपनी शैली से इसमे जान डाल दी है। स्क्रीन पर इनकी उपस्थिति बहतरीन और सुंदर नज़र आती है। क्रिटिक्स ने भी दोनों की तारीफ की है और ऑडियंस को भी इनकी ऐक्टिंग काफी पसंद आई है। बाकी किरदारों का अभिनय भी अच्छा था पर फिल्म थिएटर से बाहर निकलने के बाद जो किरदार आप पर छवि छोड़ के जाता है उन्मे दोनों लीड कलाकारों और अजय का किरदार है। साई चंद, सुनील, भ्रमा जी भी अपनी कलाकारी से इस फिल्म मे अपनी छाप छोड़ते हैं।

 

कहानी:– फिल्म की सेटिंग इस प्रकार से है कि शुरुआत से ही यह आभास हो जाता है कि फिल्म हमें डराने वाली है। अज्ञात कारणों से घटित होने वाली घटनाएं दर्शकों को बांधे रखती है। कहानी का बैकग्राउंड 80 के दशक की घटनाओं से आगे बढ़ता हुआ 90 की दशक मे पहुंचता है जिससे देखने वालों को यह नकली नहीं लगता है और फिल्म को वह आसानी से अपना पाते हैं।

कहानी प्राथमिक रूप से वहाँ के देवता और गाँव के पुजारी (Sai Chand) के द्वारा की गई विभिन्न धार्मिक प्रथाओं के आस पास मंडराती है। इन्ही सब भयानक वारदातों के बीच हीरो हिरोइन के बीच का रोमांस फिल्म के साथ न्याय नहीं करता है। अच्छी भली चल रही फिल्म के बीच मे यह पहलू जबरदस्ती सा लगता है और दर्शकों के मन मे अपनी जगह नहीं बना पाता। मिसाल के तौर पर जैसे ब्रह्मास्त्र  मे आलिया और रणबीर का रोमांस बेवजह लगता है उसी तरह साई और समयुक्ता के बीच का लगाव जल्दबाजी मे लिखा हुआ लगता है। दोनों के बीच का ताल मेल सतह पर ही रह जाता है और गहरा नहीं उतर पाता।

कई बार कहानी पटरी से उतरती हुई लगती है पर इन्टर्मिशन के पहले और क्लाइमैक्स ऐसे पहलू हैं जिससे गाड़ी संभल जाती है।

छायांकन- शमदत का छायांकन बहतरीन है। इनकी बदौलत गाँव की डरावनी और रहस्यमयी प्रस्तुति असली लगती है। काला जादू, जादू टोना के आधार पर बनी यह कहानी शमदत की शैली की वजह से एकदम असली मालूम पड़ती है और दर्शकों को बाँधें रखने मे पूरा सहयोग देती है। फिल्म मे हॉरर फिल्मों की तरह एकदम से डराने वाले पहलू नहीं है फिर भी देखने वालों के मन मे घबराहट का माहौल अच्छी तरह से उजागर होता है।

संगीत:- अजनीश का संगीत बहतरीन है और बैकग्राउंड स्कोर मजबूत जिसके कारण फिल्म का परिपेक्ष बना रहता है। कोई सा भी गाना ज़बरदस्ती फिल्म मे नहीं डाला गया है और जो गाने हैं वह परिस्थिति को शोभा देते हैं।फिल्म में ध्वनि प्रभाव कहानी में बहुत सारे रहस्यात्मक वाइब्स जोड़ता है और फिल्म के मुख्य तत्व को बाहर लाने में सफल होता है।

डाइअलॉग: फिल्म में इस्तेमाल किए गए संवाद उपयुक्त लगते हैं। वे फिल्म में दी गई स्थितियों के लिए अनुकूल हैं।

निष्कर्ष:– दर्शक यह फिल्म काफी पसंद कर रहे हैं और गूगल पर आज की तारीख मे इसकीं रेटिंग 96% है। कहानी दिलचस्प है, बहतरीं अभिनय है, प्रभावशाली साउन्ड ईफएकट्स हैं। कार्तिक का निर्देशन मे पहला प्रयास सराहनीय है पर बीच मे कहीं कहीं कमी लगती है। दर्शकों का मनोरंजन करने मे सफल होती है पर गहरा प्रभाव नहीं छोड़ पाती ।एक बार सिनेमा हॉल मे जाके ज़रूर देख सकते हैं।

Virupaksha movie rating: मेरी तरफ से इस फिल्म को 3.5/5 स्टार्स।

Virupaksha movie review in hindi

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