दा नी-(दादी +नानी)
एक माह बीत गये घर में रहते हुए, लगभग पूरा देश अपने-अपने घर में बंद है। घर में रह नहीं रहे हैं बल्कि कैद हैं जैसे, सारे काम-काज बंद हैं, रोजी-रोटी बंद पड़ी है, व्यक्तिगत तौर पर हर कोई परेशान है। प्रत्येक व्यक्ति अपने भविष्य के लिए चिंतित है, कहीं कोई रास्ता दिखाई नहीं पड़ रहा।
सारी सेवाएं ठप्प पड़ी हैं। जहाँ तक जानकारी है – रेल सेवा कभी बंद नहीं हुई। वह बंद है। मैट्रो बंद है। चारों तरफ सन्नाटा है। इतनी सुनसान सड़कें कभी नहीं दिखाई दी हैं।
हाँ, सड़कों पर जानवर अवश्य दिखाई देते हैं। पक्षी स्वच्छन्द उड़ते दिखाई देते हैं। प्रदूषण कम हो गया है। नदियों का जल स्वच्छ हो गया है। प्रकृति को साँस लेने का अवसर मिला है। देखकर अत्यंत आनंद आता है। जिस प्रदूषण को कम करने के सारे प्रयास असफल हो गये, अरबों-खरबों खर्च किए गए, उस कार्य को एक वायरस ने कर दिया है।
पर घर में रहते हुए लोग बोरियत महसूस करने लगे हैं। आरम्भ में तो वक्त कट गया था। लगातार कार्य करने के कारण लोग थक गए थे, खूब विश्राम किया पर कब तक कोई आलस कर सकता है। लॉकडाउन कब समाप्त होगा, पता नहीं है, अवधि बढ़ती जा रही है। समय बिताना कठिन हो रहा है। सारे मनोरंजन के साधन बंद हैं। सिनेमा हॉल, पीवीआर, मॉल, बाज़ार, दुकान तथा सारे अन्य साधन।
ऐसे वातावरण में रेडियो, टेलीविजन, मोबाइल और टेलीफोन व इसी प्रकार के अन्य साधन ही मनोरंजन के लिए हैं। कलाकार लोग अपनी कला से मनोरंजन करने लगे हैं। संगीत, कविता, वार्ता, गोष्ठी, हास्य प्रसंग, विडियो कॉलिंग से सारी विधायें देखने-सुनने को मिल रही हैं।
यह सब हो रहा है – लाईव स्ट्रीमिंग से। संगीत के क्षेत्र से संगीतज्ञ, गायक-गायिकाएं, वादक अपने घर से प्रोग्राम कर रहे हैं। साहित्यिक वार्ता, गुफ्तगू, वाद-विवाद, कवि-सम्मेलन, मुशायरा आदि घर पर रह कर लाइव प्रसारित कर रहे हैं। जो प्रोग्राम सभागार में या स्टेज पर होते थे, अब वे घरों और निजी स्टूडियो में रहते हुए हो रहे हैं। चित्रकार, कलाकार और कथाकार सबलोग अपने खाली समय का रचनात्मक उपयोग कर रहे हैं। समय के अभाव में प्रतिभायें कुंठित हो रही थीं, वे सामने आती जा रही हैं। हास्य-व्यंग्य और चुटकलों से सभी का मनोरंजन कर रहे हैं तथा इस अचानक मिल गई छुट्टी का भरपूर लाभ उठा रहे हैं।
अब धीरे-धीरे बंदिशें कम होनी शुरू हुई हैं. लोगों को घर से बाहर निकलने और रोजगार, काम पर जाने की छूट मिलनी शुरू होने लगी है। ऐसे में यह मत भूलना कि हम लॉकडाउन में क्यों थे?
घर से बाहर जाने वाले को सावधानी बरतना जारी रखना है और घर वापस आने पर भी सतर्कता से स्वयं और साथ के लोगों को भी बचाते चलना है। याद रखेंगे न।