Inforanjan

  • होम
  • लाइफस्टाइल
    • फैशन
  • मनोरंजन
  • सेहत
    • खानपान
    • मानसिक स्वास्थ्य
  • पेरेंटिंग
    • मॉम की डायरी
  • किस्से कहानियां
    • सोशल
    • संस्मरण
    • कथा साहित्य
  • प्रकाशित करें
  • English
Inforanjan

Da Ni की कलम से - सुरक्षित दूरियाँ v/s छूआछूत

by Da Ni
June 13, 2020August 26, 2020105

जब से कोरोना वायरस आया है तब से सोशल डिस्टेेंसिग की बात हो रही है, मतलब सुरक्षित दूरियाँ। यह सुन कर तथा पढ़ कर मुझे अजीब लग रहा है। कहते हैं कि समाज में मिल कर रहना चाहिए। मनुष्य सामाजिक प्राणी है फिर यह दूरी, जिसे संगरोध नाम दिया जा रहा है, कहाँ से आ गई?

यह सब कोरोना वायरस के कारण हुआ है। ऐसा बताया गया है कि यह वायरस साँस लेने से एक-दूसरे के शरीर में पहुँचता है,
अतः मास्क को मुँह पर लगाने को कहा जाता है। यह छूने से एक-दूसरे के शरीर में पहुँचता है, अतः एक-दूसरे को छूने से भी बचने को कहा जाता है।

मार्च का महीना आते-आते कोरोना वायरस के बारे में पता चला और यह भी जानकारी दी गई कि लोग एक-दूसरे से दूरी बना कर रहें। घर में जो सामान बाहर से आ रहा है उसे कीटाणु रहित पानी से धो कर प्रयोग करें। जो लोग घर के बाहर जाते हैं वे वापस घर आने पर स्नान करके सारे कपड़े बदलें और तब कुछ और छुएं, ऐसा कहा जाता है। हाँथों को बराबर सेनेटराइज़र से भी धोयें।

यह भी कहा जाता है कि प्लास्टिक का प्रयोग ना करें, इसमें वायरस अधिक समय तक रहता है; इसके स्थान पर कागज़ और कपड़े का प्रयोग किया जाये। फूल, पीतल और ताँबे के बर्तनों का प्रयोग किया जाये। परदों का प्रयोग न किया जाये। मतलब कि उन सभी कारणों से बचने की कोशिश करनी चाहिए जिससे इस वायरस के बढ़ने की संभावना हो। मुँह पर मास्क लगा कर रखें। पूरा शरीर तथा चेहरा ढंक कर रखें, इस प्रकार से वायरस के असर से बचा जा सकता है।

यह सब देख कर मुझे पुराने समय की याद आने लगी है। जिन नियमों को देखकर आज के लोग, पुराने ज़माने की बातें, पुरातनपथीं तथा ढकोसला कहते थे, आज वही सब लोग ??? उन्हीं नियमों का पालन कर रहे हैं। आप कह सकते हैं कि एक वायरस ने हमलोगों को बीते युग में पहुँचा दिया है।

प्राचीन काल से यह नियम चला आ रहा था कि घरों में प्रवेश करने से पहले जूते और चप्पल द्वार पर ही उतारकर, पाँव धोकर घरों में प्रवेश करते थे। हाथ धोकर ही खाने-पीने का सामान छूते थे। जैन सम्प्रदाय के लोग आज भी नाक-मुँह पर कपड़ा बाँधते हैं। उनका मानना है कि साँस लेने से जीव हत्या न हो। नकाब डालने और चादर ओढ़ने का रिवाज तो बहुत पुराना है। उससे सारा शरीर बंद रहता है और बाहरी संक्रमण नहीं होता। कालांतर में इसका रूप बदलकर धर्म विशेष से जुड़ गया।

काम के अनुसार वर्ग बँटे थे, उसी हिसाब से साफ-सफाई रखी जाती थी। भोजन पकाने का कार्य बड़ी स्वच्छता से किया जाता था। गंदगी साफ करने का कार्य करने वाले दूर रहते थे क्योंकि उनके पास कीटाणु होते थे, वे स्वच्छ होकर समाज में उठते-बैठते थे। धीरे-धीरे सफाई का स्वरूप बदल कर छूत-पाक से छूआछूत हो गया, सारे नियम धार्मिक होते गए और सामाजिक बुराई में शामिल हो गये। फिर धीरे-धीरे लोगों में नियम ना मानने का चलन शुरू हो गया। स्वच्छता पर कोई भी ध्यान नहीं देना व साफ-सफाई को नहींं मानना; जूता-चप्पल पहनकर रसोईघर में जाना; बिना हाथ साफ किये खाना पकाना-खाना; कपड़े ना बदलना इत्यादि पुरानी बातों को नहीं मानना।

पर कोरोना वायरस फिर से पहले के समय को वापस ले आया है। आज लोग अपने बड़ों की जिस टोक-टाक को पसंद नहीं करते थे, उसे याद कर रहे हैं और उन्हीं नियमों को सही बता रहे हैं। कोरोना कहता है : जो बोला जा रहा था तब, अब वो सब करो ना करो ना!!

शेयर3
previous post
Da Ni की कलम से - आज के संदर्भ में – सीता और द्रोपदी
May 14, 2020
next post
Da Ni की कलम से - बेरोजगारी
Jun 23, 2020

फ़ेसबुक पर फ़ॉलो करें

Infoरंजन

ताज़ा लेख

जीवन की साधारणता का उत्सव अनमोल होता है

Dr. DushyantApril 26, 2022April 26, 2022
April 26, 2022April 26, 2022

हव्वा की बेटी का रोज़नामचा

Dr. DushyantMarch 19, 2022March 20, 2022
March 19, 2022March 20, 2022

प्रेम इबादत या फ़ितूर, इक दफ़ा सोचिए ज़रूर !

Dr. DushyantFebruary 26, 2022February 26, 2022
February 26, 2022February 26, 2022

लेखक को जादूगर कहिए

Dr. DushyantFebruary 7, 2022
February 7, 2022

पुरानी शराब का नशा सिर चढ़कर बोलता है

Dr. DushyantJanuary 25, 2022January 25, 2022
January 25, 2022January 25, 2022

एई तो जीबोन बिस्‍वास बाबू! 

Dr. DushyantJanuary 1, 2022January 2, 2022
January 1, 2022January 2, 2022

लोकप्रिय लेख

हींग कचौरी की खुशबू

Dr. DushyantNovember 1, 2020February 6, 2021
November 1, 2020February 6, 20212154

ला फिएस्ता !

Swa:BaniOctober 24, 2020May 21, 2021
October 24, 2020May 21, 20211953

नोबेल साहित्‍य पुरस्‍कार में भारतीय दावेदारी

Dr. DushyantOctober 17, 2020November 2, 2020
October 17, 2020November 2, 20201687

होनी : समीर रावल की लिखी

Sameer RawalOctober 3, 2020February 6, 2021
October 3, 2020February 6, 20211598

बंदूक चलेगी तो अपना निशाना भी ढूंढ़ ही लेगी

Dr. DushyantNovember 23, 2020November 26, 2020
November 23, 2020November 26, 20201594

सुर की बारादरी के फूल और कांटे

Dr. DushyantAugust 31, 2020November 2, 2020
August 31, 2020November 2, 20201298
DMCA.com Protection Status
  • About us
  • Contribute
  • RSS Feeds
  • Terms of Service
  • Privacy Policy
  • Affiliate Disclosure
Copyright © 2019-2022 - inforanjan.com. All Right Reserved.
Inforanjan
FacebookTwitterPinterestEmail
  • Home
  • Lifestyle
  • Technology
  • Health
    • Diet & Nutrition
    • Women Health
    • Mental Health
  • Parenting
    • Kids
    • Teenagers
    • Education
    • Mom’s Diary
  • Entertainment
    • Stories
    • Social
  • Contribute
  • हिन्दी