तारीफ़ की तलब एक बुरी लत है, जो आपको कमजोर करती जाती है। People are desperately trying to get approval and acceptance from others. They never feel good enough, and they are terrified of social rejection. आपकी पहली प्रतिक्रिया शायद होगी – अरे बेचारे! लेकिन मैं आपको ही अनुमोदन साधक कह कर बुला रहा हूं। आपको बता रहा हूं कि आप खुद तारीफ़ के मोहताजो में से एक हैं। Why do you post the things you do, on social media?
As humans, we seek validation. In the modern era, social media has become the validation tool.
जब कोई एक सेल्फी पोस्ट करता है, तो उसे दरअसल चापलूसी वाली टिप्पणी, जिसे ’लाइक’ की संज्ञा दी गयी है, की दरकार होती है। Why else would you post a picture of yourself? Every time a ‘like’ arrives on what you post, it gives you a sense of satisfaction. हालांकि इसमें कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन यह निश्चित रूप से स्वस्थ मानसिकता नहीं है। हर पल आईने में निहारने जैसा है।
What is this childish thought that if others think you’re great, you must be great, or if someone thinks you’re bad, you must be bad? And if they perceive you as flawed, accurately or inaccurately, then you feel horrified. आपने अपनी मेहनत की कमाई से एक ड्रेस खरीदी, जिससे आपका दिल खुश हो गया। अब आपने दोस्त से पूछा कि आप इसमें कैसे लग रहे हैँ और उसकी नकारात्मक टिप्पणी से आपकी खुशी लुट गई।
जब आप दूसरों द्वारा परिभाषित होने लगते हैं, तो आप एक दोहरी समस्या का सामना करते हैं।
One, you constantly need other people’s approval and validation to feel that you are okay. And two, you feel shame, guilt, anger, loneliness, anxiety, confusion or other painful emotions when someone disapproves of and invalidates you. तो आप अपना पूरा जीवन दूसरों की स्वीकृति और उनके सत्यापन के पीछे दौड़ते हुए और उनकी अस्वीकृति से डरते हुए बिताने लगते हैं – जैसाकि ज्यादातर लोग करते हैं।
लोग दो तरीकों से मैनेज करते हैं। कुछ व्यक्ति लोक-सुखकारी बन जाते हैं। They crack jokes, are nice to everyone, and go out of the way to help others, even at the cost of their own good and welfare. अन्य लोग इसे एकदम उलट, अंतर्मुखी और तुनक मिजाज बन जाते हैं। They disregard others and only care about themselves. यह चित-पट तरीका लोगों के अनुचित और अवांछित व्यवहार का मूल कारण है।
Whether it’s people-pleasing or antisocial behavior or something in between, the underlying and often ignored question is why? क्यों आप खुद को तकलीफ देते हो या दूसरों को चोट पहुंचाते हो?
To understand this, you must spend some time alone. Switch off your mobile for a day. You are no more a child. You have grown up. आपको अपने अस्तित्व को मान्य करवाने या खुद को परिभाषित करने के लिए दूसरों पर निर्भर रहने की क्या जरूरत है?
जो हो, जैसे हो, बस हो। As you go with this habit, you will feel increasingly more connected with yourself.
पृथ्वी पर कोई भी इंसान बिना दोष के नहीं है। सब माटी के पुतले हैं। तब आप कैसे परिपूर्ण हो सकते हैं? अपने दोषों को जानें और अपने बारे में उन बातों को स्वीकार करें जिनसे आप बचते फिर रहे हैं। The world around and you together, make the story complete. You do not exist in isolation, others around you create your meaning. Understand this truth and you will feel instantly better. Kabir so profoundly said, “काहे री नलिनी तूं कुमिलानी । तेरे ही नालि सरोवर पानीं ।” किसी के लिए नहीं, सबके लिए अच्छे बनों। क्योंकि वही आपकी असलियत है।