A habit is a routine of behaviour that is repeated regularly and tends to occur subconsciously.
आदतें जिंदा रखती हैं, आदतें काटती भी हैं. आदत जीने का तरीका हैं, शौक हैं, हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा हैं. हम अपनी आदतों के साथ इतने सेट हो चुके होते हैं कि हमको उनको करने के लिए सोचना भी नहीं पड़ता. आदतें दो तरह की होती हैं, अच्छी आदत और बुरी आदत! पर कोई आदत अच्छी है या बुरी, यह व्यक्ति पर निर्भर है. एक आदत किसी के लिए अच्छी आदत हो सकती है, उसका शौक हो सकता है और वही दूसरे व्यक्ति को बुरी या गलत आदत लग सकती है, यह बस देखने का नजरिया है.
If you Judge People, You are a culprit.
मतलब अगर आप लोगों को जज करते हैं तो आप ख़ुद अपराधी हैं. हमें दूसरों को जज करने से बचना चाहिए. हर इंसान को अपने हिसाब से जीने, फैसले लेने, सपने देखने, आदतें और शौक पालने का हक है. कोई आदत अगर अति में है तो वह बुरी आदत बन जाती है जैसे कभी-कभी पीने में कोई बुराई नहीं, बाहर खाने में कोई बुराई नहीं लेकिन जब वह अति हो जाता है, लिमिट से बाहर कोई भी अच्छी आदत भी बुरी आदत हो सकती है जिससे हमें नुकसान पहुंच सकता है.
कैसे डालें अच्छी आदत ?
अच्छी आदत क्या होती है? वह आदत जिससे हमें फायदा हो जैसे सुबह जल्दी उठाना, नियमित एक्सरसाइज करना, खान-पान पर नियंत्रण रखना, मोबाइल-लैपटॉप का सीमित इस्तेमाल, समय पर सोना, समय पर उठना, अच्छा बोलना, कम बोलना, गुस्से पर नियंत्रण रखना, विनम्र रहना, दूसरे के जीवन में बिना वजह दखल न देना, आपसी रिश्तों में गरिमा और कृतज्ञता का भाव बनाये रखना आदि सारी ऐसी आदतें हैं जो हमें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखती हैं. अच्छी आदत के लिए सबसे जरूरी है – अनुशासन! हम कई बार कोई भी अच्छी आदत डालने की शुरुआत बड़े जोर से करते हैं, लेकिन दो-चार दिनों या हफ्ते भर बाद हम ऊब जाते हैं और वापस उसी ढर्रे पर आ जाते हैं. कहा जाता है कि एक आदत को डालने के लिए 21 दिन का वक्त काफी होता है पर इस बात की कोई गारंटी नहीं है.
एक अच्छी आदत डालने के लिए आप को हमेशा अनुशासित रहना जरूरी होता है.
खुद को आदेश देना आना चाहिए, आपका मन आपके दिमाग पर हावी नहीं होना चाहिए. मन अक्सर ढीला पड़ जाता है जैसे अगर आप डाइटिंग पर हैं लेकिन मसालेदार चीज देखकर मन ललचाने लगता है और आप यह सोच के खा लेते हैं कि एक बार में क्या फर्क पड़ता है? अगर आप सुबह एक्सरसाइज करने के लिए उठते हैं और मौसम ठंडा देख कर दुबारा सो जाते हैं, या किसी काम को आलस में आकर अधूरा छोड़ कर सो जाते हैं कि कल कर लेंगे. यहाँ दिमाग से मन को नियंत्रित करने की ज़रूरत है क्योंकि दिमाग जानता है – क्या सही है और क्या गलत !
आपके अच्छे जीवन और लक्ष्य के लिए जो ज़रूरी है, वो करना ही है, चाहे मन करे या नहीं.
बचपन से करें शुरुआत
अच्छी आदतें बचपन से डाली जानी चाहिए. अक्सर लोग सात-आठ साल की उम्र तक तो बच्चों को लाड-प्यार से सिर पर चढ़ा कर बिगाड़ देते हैं और फिर अचानक उनको सुधारने के लिए गुस्सा करना, मारपीट करना शुरू कर देते हैं. किसी भी बच्चे में कोई भी आदत डालनी है तो बिल्कुल छोटे से ही शुरु कर देनी चाहिए. एक बार बिगड़ चुके बच्चे में अच्छी आदतों के बीज डालना काफी मुश्किल हो जाता है. जिससे सीखने की बजाय ज़बरदस्ती थोपे गये अनुशासन से बच्चा जिद्दी और गुस्सैल बन सकता है. ऐसे में जरूरी है कि बच्चे को दो-ढाई साल की उम्र से ही सही-गलत आदत का फर्क समझाएं. साथ ही साथ जो आदत आप अपने बच्चों को सिखाना चाहते हैं, वह आप में भी होनी चाहिए.
Practice what you preach.
यानी कि जो आप सिखा रहे हैं, उसको खुद पहले अपनाइए… वरना बच्चा तुरंत बोलेगा कि आप तो झूठ बोलते हैं, मुझे सच बोलने को कह रहे हैं, आप तो घर में जोर से चिल्लाते हैं और मुझे धीमे बोलने को कह रहे हैं आदि-आदि. बच्चे बिना कुछ सिखाये भी घर के वातावरण से लगातार सीखते रहते हैं इसलिए घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाये रखना आपकी ज़िम्मेदारी है.
डालते रहें नयी आदतें!
ज़िन्दगी में अपने वक़्त को सही तरीके से मैनेज करके हम भरपूर जी सकते हैं और इसके लिए अच्छी आदतों का होना बहुत ज़रूरी है. ताकि हम कम वक़्त में अधिक से अधिक काम कर सकें. ज्यादा से ज्यादा जीवन का आनंद ले सकें.
किसी भी नयी चीज़ को सीखने की इच्छा और उस इच्छा को आदत में ढाल लेना ही उस चीज़ तक पहुँचने की शुरुआत है. याद रखिये पुरानी आदतें नए दरवाजे नहीं खोलतीं.
जीवन एक निरंतर यात्रा है और इसमें लगातार कुछ नया हासिल करने के लिए हमको नयी-नयी आदतें डालनी पड़तीं हैं. जैसे जब आप सुबह जल्दी उठने, रेगुलर जिम जाने का फैसला करते हैं, कोई नयी भाषा, नया म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाना सीखना चाहते हैं या किसी एग्जाम में सफलता हासिल करने के लिए नए सिरे से अपनी रोज़मर्रा की दिनचर्या बदलते हैं. शुरुआत में आप टाइम टेबल बना सकते हैं, निरंतर अभ्यास से वे नई आदतें या दिनचर्या आपके subconscious mind में शामिल हो जाती हैं. जीवन में हम सबके पास एक दिन के 86400 सेकंड्स होते हैं और हम किस तरह उन क्षणों का सार्थक इस्तेमाल कर पाते हैं, यह हमारी अच्छी आदत, जुझारू प्रवृति और इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है.
ख़ुद को साध लो, जग सध जायेगा.
आपसे बेहतर आपको कोई नहीं जान-समझ सकता. कोई भी अच्छी आदत तभी पड़ सकती है, जब आप ठान लें. आप दूसरे को बदल नहीं सकते लेकिन अपनी अच्छी आदतों और मजबूत चरित्र की वजह से आप दूसरों के लिए प्रेरणा ज़रूर बन सकते हैं. मान लीजिये कि आपने अपनी कड़ी मेहनत से कुछ बड़ा हासिल किया तो कई लोग आपसे ज़रूर inspire होंगे और जीवन में अपना बड़ा लक्ष्य बनायेंगे.
कई बार विपरीत परिस्थितियों में लोग आपसे दूर हो सकते हैं लेकिन आपकी अच्छी आदतें आपको हर विपरीत परिस्थिति में ज्यादा मजबूत करती है. तो बैठिये एकांत में, खुद से बात कीजिये, अपनी अच्छी, बुरी आदतों का विश्लेषण कीजिये. अपने जीवन के टारगेट बनाइये और उनको हासिल करने के लिए जुट जाइए. अच्छी आदतों को जोड़ने और बुरी आदतों को घटाने का निरंतर प्रयास जारी रखिये. तो देर किस बात की है आज से ही शुभारम्भ कीजिये!
Image Source : Viraj Tak