“तुम बड़े होकर क्या बनोगे?”- ये सवाल बच्चे से तब से पूछा जाना शुरू हो जाता है, जब से वो बोलना सीखता है। इस सवाल को सुनकर वह सोचने पर मजबूर होता है और यहीं से शुरू होता है, सपने देखने और दिखाने का सिलसिला- जब हम खुद को किसी जगह पहुँचता हुआ देखना चाहते हैं। पर अक्सर वे हमारे सपने नहीं होते, माता- पिता, टीचर्स, समाज के द्वारा लादे हुए सपने होते हैं और दूसरों के दिए सपने जीते हुए इंसान हमेशा थका हुआ महसूस करता है, उसे जीवन में बार–बार ये अहसास होता है कि मैं इस काम के लिए तो नहीं बना, मैं कुछ और करता तो अच्छा होता!

क्या है आपका सपना –

एकांत में बैठ कर सोचिए कि कौन सा काम आपको जीवन में सबसे ज्यादा खुशी देगा, आप ऐसा क्या करना चाहते हैं जिससे आपको अपना होना सार्थक लगे, ऐसा कौन सा काम है जिसके लिए आप बिना थके, बिना रुके मेहनत करने को तैयार हैं, किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। सबको अपने सपने ख़ुद तैयार करने होते हैं और जब वो सपना अपने दिलोदिमाग में उतर आए तो उसको साकार करने के लिए जुट जाइए, जब हम खुद अपने लिए सपने देखना शुरू करते हैं तो कई बार मजाक उड़ता है, विरोध होता है, शंकाएं जाहिर करके लगातार मनोबल को तोड़ने की कोशिश की जाती है। लीक से हटकर रास्ते बनाने के लिए बहुत ज्यादा मानसिक संबल, जिद और जुनून की जरूरत होती है। जो लोग दुनिया, समाज, घरवालों के थोपे हुए सपनों और फैसलों को नकार कर अपने फैसले, अपने रास्ते बनाना चाहते हैं, उन्हें पागल या “बागी” कहा जाता है पर जब उस रास्ते पर वो कुछ ऐसा कर जाते हैं कि बाकी लोग उनके उस रास्ते पर चलना चाहें तो वह “वाह जी” हो जाता है। दुनिया की रीत है, चढ़ते सूरज को सभी सलाम करते हैं। खुद के रास्ते बनाने में मेहनत और खतरे काफी ज्यादा होते हैं लेकिन अनछुए रास्तों पर ही बेशकीमती चीजें हासिल होती हैं।

क्या है, जो आपको रोकता है –

लोगों के पास अपने सपनों को पूरा न कर पाने के लिए हजारों बहाने होते हैं। वे सिर्फ़ परेशानियों का रोना रोते रहते हैं, पर सपनों की तरफ़ एक कदम बढ़ाने का साहस नहीं जुटा पाते। जिंदगी में सभी मुंह में चांदी का चम्मच लिए पैदा नहीं होते तो हम इस बात की शिकायत उम्र भर नहीं कर सकते कि हमारे पास साधन नहीं है, मेहनत करके हमें अपने चम्मच खुद खरीदने होंगे!

दुनिया का इतिहास ऐसे लोगों से भरा पड़ा है जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों के होते हुए भी हार नहीं मानी, जिन्होंने कई-कई बार जीरो से शुरू किया और हार न मानते हुए अपने आप को साबित किया। गंभीर शारीरिक-मानसिक बीमारियों से जूझते हुए भी कितना आगे तक पहुंचे। यहां मैं स्टीफन हॉकिंग और जॉन नैश का उदाहरण देना चाहूंगी जो अपनी इच्छाशक्ति के बल पर एक सफल जीवन जी पाए और अपने काम से दुनिया को कुछ ऐसा दे पाए जो सदियों-सदियों तक याद किया जाएगा।

कुदरत ने हम सबको यूनिक बनाया है, सपने नहीं देखना हमें यूनिक से साधारण में तब्दील करता जाता है। खुद पर भरोसा कीजिए कि कुदरत को साधारण ही भेजना होता तो आपसे पहले बहुत भेजे जा चुके थे, उनसे ही काम चल जाता, तो आपकी यूनीकनेस सपने देखने से ही एक्सप्लोर होगी, वास्तविकता में बदलेगी।

काम तो करने से ही होगा –

सबसे जरूरी है- अपने सपनों पर विश्वास, उनको हासिल करने का ज़ुनून और बिना थके, बिना रुके काम करने का जज्बा! हम सबके पास दिन के 86400 सेकंड्स होते हैं, फिर भी वक्त के कम होने की शिकायत करते हैं। जरा जांच-पड़ताल कीजिए, इसी वक्त में से वक्त निकालकर दुनिया के लोगों ने महान काम किए हैं, अपने सपनों-संघर्षों को जिया है तो आप क्यों नहीं वक्त निकाल पा रहे? जो काम कल तक खत्म करना है उसे आज, अभी शुरू करना होगा और इसके लिए किसी मुहूर्त की ज़रूरत नहीं, दैवीय भविष्यवाणी की भी नहीं…

अगर आपको यह लगता है कि आपके सपनों को पूरा करने के लिए आपके पास लोगों का सहयोग नहीं है तो याद रखिए कि अपने सपनों के लिए कई बार हमें अकेले ही जूझना होता है, चाहे दुनिया ही हमारे खिलाफ क्यों न हो! व्यर्थ के लोगों और चीजों को अपने जीवन से निकालकर अलग कीजिए और फिर देखिए कि आपकी कितनी उर्जा और समय बच रहे हैं जिसका आप सार्थक उपयोग कर सकते हैं।

उठते-बैठते, खाते-पीते बस उस सपने को जीना सीखिए –

Photo Credit : Naveen Jain

 

आप जहां पहुंचना चाहते हैं, उस चीज को विजुलाइज करते रहना चाहिए। हमारे दिमाग में इतनी ताकत है जो हम कई बार पूरी जिंदगी भी उसका उपयोग नहीं कर पाते। सबकॉन्शियस माइंड (अवचेतन मन) में भरे हुए सकारात्मक विचार आपको अपने लक्ष्य के प्रति ज्यादा जुनून से मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। सोते-जागते, हरेक साँस में अपने ड्रीम के बारे में सोचने की आदत डालिए। जहां पहुंचना चाहते हैं, उसकी कल्पना करना भी दिमाग को अहसास दिलाना है कि आप उस मुकाम पर पहुंच चुके हैं, जहाँ पहुंचना आपका ख्व़ाब रहा है। ये सुखद एहसास आपके इरादों को और ज्यादा मजबूत करता है। दुखी हैं तो सुख की कल्पना कीजिए, गरीब है तो अमीरी के सपने देखिए और उनको साकार करने के लिए उम्मीद रखते हुए लगे रहिए। थके होने के बावजूद भी जो कदम दौड़ने का हौसला रखते हैं, वही विजेता बनते हैं।

 

दिमाग खोलिए, नॉलेज हासिल कीजिए –

अपने काम से जुड़े नॉलेज को हमेशा अपडेट करते रहना चाहिए। तकनीकी रूप से दुनिया बहुत तेजी से विकसित हो रही है, ऐसे में आपको बदलाव की नब्ज़ पहचानना और वक़्त की चाल से चलना आना चाहिए। सीखने की कोई उम्र नहीं होती, एक दिन एक नयी शुरुआत है।

सबसे ज़रूरी बात – अनुशासित रहना सीखिए

Discipline is doing what needs to be done, even if you don’t want to.”

यानी चाहे आपका मन हो न हो पर जो करना ज़रूरी है, वो नियम से करना ही अनुशासन है। बिना अनुशासन के एक सफल, सुखी, स्वस्थ, सलीकेदार जीवन की कल्पना असंभव है। कोई भी बड़ा लक्ष्य हासिल करने के लिए नियम से उस काम को करना होता है। जैसे अच्छी फिटनेस के लिए सुबह जल्दी उठकर दौड़ना, खान-पान पर विशेष नियंत्रण रखना, रेगुलर एक्सरसाइज करना आदि डिसिप्लिन से करने की ज़रूरत होती है और ये बात हर सपने पर लागू होती है। लोग कई बार बड़े जोश से कोई भी नया काम शुरू करते हैं पर जल्दी ही उचित अनुशासन और कंसिस्टेंसी के अभाव में उसे अधूरा छोड़ देते हैं। इसलिए किसी भी ड्रीम को रियलिटी में बदलने के लिए आपको ख़ुद को कण्ट्रोल करना आना चाहिए, अपने दिमाग और मन को निर्देश देना आना चाहिए और वो अनुशासन के नियमित अभ्यास से ही संभव है, ख़ुद को रोकिए, टोकिए और तराशिए! वरना याद रखिए कि हमारे ख्वाब ख़यालीपुलाव और शेख चिल्ली के ख्वाब बनकर रह जाएँगे!

सपने आपको हमेशा युवा बनाए रखते हैं। सपनों का मर जाना इंसान की मौत है क्योंकि सपने ही एक ऐसी उम्मीद है जो एक बेहतर कल के होने-दिखने का हौसला देते हैं। तो दोस्तो! आपके और आपके सपनों के बीच अगर कोई रुकावट है तो वह सिर्फ़ आपकी कमजोरी है और अपनी कमजोरी पर आप जब चाहें, तब जीत हासिल कर सकते हैं। ढूंढ़िए अपने जीने का उद्देश्य और फिर उस उद्देश्य को पूरा करने के लिए जी-जान लगा दीजिए। जो आपको पसंद है, उसे हासिल कीजिए, नहीं तो जो आपको हासिल है, उसको पसंद करना आपकी मजबूरी हो जाएगी।

हिम्मत कीजिए… आप कर सकते हैं!

 

Image Source : Viraj Tak