Leo Tolstoy published in 1894, The Kingdom of God Is Within You, as the culmination of 30 years of his thinking. सार्वभौमिक प्रेम पर केंद्रित यह पुस्तक समाज के एक नए संगठन की रूपरेखा प्रस्तुत करती है। पुस्तक का शीर्षक बाइबिल से लिया गया है : “लोग यह नहीं कहेंगे, ‘वह यहाँ है’, या ‘वह वहाँ है’, क्योंकि परमेश्वर का राज्य तो तुम्हारे भीतर ही है।” (लूका 17:21)।
Kabir saw a handful of foreign invaders establish their rule over vast Indian lands and ordinary people convert to the new religion they had brought, in hope of a better life and safety. There was also confusion when temples were razed and looted by the invading armies. बड़े पैमाने पर धर्मांतरण से समाज में ज्यादा बदलाव नहीं आया। सामान्यजन गरीबी, संघर्षों में घिरे रहे और सामाजिक बुराइयों में डूबे रहे।
कबीर ने क्रांतिकारी रूप में स्थानीय और आयातित धर्मों के सार्वजनिक रूप की अपने अनुयायियों की स्थिति में सुधार के लिए, प्रासंगिकता पर सवाल उठाये। By following dogma and rituals, people naively believed in their salvation, while continuing to suffer the hardships of their lives.
कबीर ने मानव शरीर में ईश्वर की उपस्थिति की ओर इशारा किया और अनुशासन और अभ्यास के माध्यम से इसे प्राप्त करने के लिए कहा।
Like the scent glands of the male musk deer, God is immanent, forever present in the boundaries of a person, of the world, or of the mind; but people live ignorant of this fact and waste their life in the futile search of divine help and support from outside. अपने सबसे लोकप्रिय दोहों में से एक में, कबीर ने मनुष्य की तुलना एक भ्रमित हिरण से की है, जो अपने शरीर के भीतर की ग्रंथि से निकलने वाली सुगंध का पीछा करते हुए इधर-उधर भटकता रहता है। The musk is in the body of the deer, but, enchanted by the fragrance, it wanders in the forest, searching for it. In the same way, God is present right inside us, but people are unable to see this.
तो, वास्तव में हमारे अंदर ईश्वर कहाँ है? क्या वह मन में, गोया कि मस्तिष्क में मौजूद है? नहीं, ईश्वर कोई ख्याल नहीं बल्कि हमारे शरीर की हर कोशिका में हमारे डीएनए के रूप में मौजूद है, हमारी हकीकत है। हमारे सारे पूर्वज अपने गुण-धर्मों के साथ हमारे भीतर हैं। हम अपने माता-पिता और दादा-दादी तक को तो जानते हैं, लेकिन उनके माता-पिता और दादा-दादी के पीछे के पूर्वजों से अनभिज्ञ रहते हैं। पर इससे वह गायब नहीं हो जाते। Only 30,000 of some 1,00,000 genes in our genome are active, and we have no idea about the function of the rest. The mitochondria in a person’s cells come exclusively from the mother and there is an eternal feminine in every man.
We are conscious of only ten percent of our psyche.
The rest carries archetypes, the ideas of our ancestors, waiting for manifestation through new bodies. In his book The Two-Million-Year-Old Self, British psychiatrist and writer Anthony Stevens says that in our mind, all our ancestors live as archetypes (आद्यरूप). इन आद्यरूपों के मौलिक लक्ष्यों की पूर्ति होने से जीवन फलता-फूलता है। आद्यरूपों की हताशा के कारण समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
इसलिए, हर दिन कुछ शांत समय अकेले बिताएं और इस पर चिंतन करें कि आपका अचेतन मन आपको क्या बताने की कोशिश कर रहा है। अपने सपनों को समझने की कोशिश करें। अपनी अंतर्दृष्टि पर भरोसा करें और आपकी अंतरात्मा की आवाज जो कुछ भी करने के लिए प्रेरित करे, वही करें। Swiss psychiatrist Carl Jung puts it plainly, “Until you make the unconscious conscious, it will direct your life and you will call it fate.”
और मैं यह कैसे करूँ? अपने अहंकार को वश में करके। अपने “मैं” को ना कह कर और “तेरे” और “मेरे” से ऊपर उठकर जीना शुरू करें। A gradual withdrawal from running towards what you like – people, food, dresses, entertainment, etc. will create space and ease for you and help you become a little more orderly than your present tired and disconcerted self. Don’t get too much attached to this world.
बिना चिड़िया का बसेरा है, न तेरा है, न मेरा है।