मानसिक स्वास्थ्यटूटते बिखरते लोग और सपने…Charoo तन्हाJune 16, 2020August 24, 2020 June 16, 2020August 24, 2020312 मन को आशा और दिलासा दे मेरे मौला !! साँझ निकट है काल विकट है कश्ती भी हिचकोले खाये ! कहें हैं सबसे दास “तन्हा” ना विचलित हों ना पछतायें !! एक उजाला; नई सुबह सा दे मेरे मौला !! मन को आशा और दिलासा...
कथा साहित्य किस्से कहानियांकिस्से चचा चकल्लस शहरयार के!!Charoo तन्हाApril 21, 2020August 30, 2020 April 21, 2020August 30, 2020764 चचा चकल्लस शहरयार!! हाँ, यही नाम था रहीम खान का अपने शहर में। जब देखो तब लौंडों की जमात में चौधरी बने फिरते थे। आएं-बाएं बहुत करते थे अकेले में , बस चची जान के सामने सारी रंगबाजी घुस जाती थी। मेहंदी लगे लाल बाल...