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यह कहानी एक ऐसे व्यक्तित्व की है जिन्होंने अपनी मेहनत से समाज में एक ऊंचा स्थान प्राप्त किया और सभी तरफ उनकी चर्चा होने लगी. उन्होंने अपने जीवन में बहुत मेहनत की, बहुत कम पैसे में गुजारा करते हुए उच्च शिक्षा प्राप्त की और विदेश में जाकर पढ़ाई की और फिर एक अच्छी नौकरी प्राप्त की. इस नौकरी में रहते हुए उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा इतनी बढ़ गई कि उन्हें लगने लगा कि शायद उनसे ज्यादा पढ़ा-लिखा, समझदार, इज्जतदार व्यक्तित्व उनके सामने और कोई नहीं है.

परिणाम यह हुआ कि उन्होंने अपनी वाहवाही के आगे दूसरों की उपलब्धियों को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया. जो भी उनके संपर्क में आता उसकी सफलता को नकारते हुए उन्होंने उसकी गलतियां निकालना अपना अधिकार समझ लिया था. अंततः यह हुआ कि लोग उनसे मिलने में या तो घबराने लगे या उनसे दूरी बना कर रहने लगे. इस तरह के व्यक्तित्व के बारे में इतना ही कह सकता हूं कि उनकी सफलता ने उन्हें लोगों से दूर कर दिया और वह यह समझने लगे कि शायद जो कुछ उन्होंने अपनी मेहनत से हासिल किया है वह और कोई दूसरा नहीं कर सकता. जबकि सच्चाई यह है कि हर व्यक्ति में अपना कुछ अलग टैलेंट होता है जिसको आगे बढ़ाते हुए जीवन में ऊंचाइयां हासिल कर लेता है.

इस कहानी में कुछ निम्नलिखित बातों का ध्यान से अध्ययन करना चाहिए जो हमारे जीवन के लिए प्रेरणादायक बन सकती हैं और दूसरों को भी प्रेरणा प्रदान कर सकती हैं.

नंबर 1. यदि हम लाइफ में सफल हो चुके हैं और अपनी सफलता की चरम सीमा को प्राप्त कर चुके हैं तो आशा यह की जानी चाहिए कि आपके ऊपर सफलता का गुरूर ना सवार हो जाए और दूसरों को भी उतना ही महत्व मिले जितना लोग आपको आपकी सफलता के लिए देते हैं.

नंबर 2. कभी यह न सोचें कि सामने वाला छोटा है या कम सफल हुआ आप के मुकाबले, तो उसे वह इज्जत नहीं मिलनी चाहिए जो शायद आपको मिली. क्योंकि यह भी आशा की जाती है कि उसकी सफलता को भी पूरा आदर प्राप्त हो.

नंबर 3. जब आप सफल हो चुके हैं तो आपको यह जरूर पीछे मुड़ कर देखना चाहिए कि कौन-कौन सी ऐसी परिस्थितियां थीं जब लोगों ने आपकी मदद की, आपको उत्साहित किया और आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा दी; जिसके कारण आप इस मुकाम को हासिल कर सके. ऐसी परिस्थितियां आपके संपर्क में या आपके नजदीक आए हुए बहुत से लोगों की भी रही होंगी जिनको आपकी आवश्यकता थी. लेकिन सवाल उठता है कि क्या आपने लोगों की सहायता की जिस प्रकार आपकी सहायता की गई थी?

नंबर 4. दुनिया में कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता. हर वह व्यक्ति जो अपना काम ईमानदारी से कर रहा है, मेहनत से कर रहा है उसको हक हासिल है कि उसकी मेहनत और ईमानदारी को पहचाना जाए और उसको प्रोत्साहित किया जाए. ऐसा नहीं होना चाहिए कि समय-समय पर उस को प्रोत्साहित करने की जगह उसका निरादर हो ताकि वह हतोत्साहित हो जाए. यह ठीक नहीं है.

नंबर 5. ऐसा अक्सर देखा गया है कि हम जब सफल हो जाते हैं और दूसरों की सहायता से आगे बढ़ गए हैं तो हम भूल जाते हैं कि कभी हमको भी दूसरों ने सहायता दी थी और उसी कारण से हम आगे बढ़े हैं. बल्कि ऐसा लगने लगता है कि शायद सारा श्रेय आपकी अपनी मेहनत और परिश्रम को जाता है. इसलिए आप भी अपने संपर्क में आए हुए लोगों से यही आशा रखते हैं कि वे भी अपनी सफलता अपने दम पर अपने बलबूते पर हासिल करें. ना आप उनकी मदद करना चाहते हैं और ना ही आप चाहते हैं कि वे दूसरों की मदद लें. परंतु शायद ऐसा संभव नहीं है कि बिना एक-दूसरे की सहायता के, बिना एक-दूसरे की प्रेरणा के हम आगे बढ़ सकते हों.

नंबर 6. मेहनत तो सभी करते हैं परंतु कभी किसी को सफलता ज्यादा मिल जाती है और कभी किसी को कम मिलती है. देखा तो जाना चाहिए कि व्यक्ति ने कितनी मेहनत की. कितनी ईमानदारी से उसने काम किया. बाकी तो काफी कुछ उसके भाग्य पर निर्भर करता है कि उसने कितनी सफलता प्राप्त थी. इसलिए मेरा मानना है, आपको उस व्यक्ति की मेहनत और परिस्थितियों का ईमानदारी से आंकलन करना चाहिए और उसको उसके लिए पूरा श्रेय मिलना चाहिए, ना कि उसकी सफलता या परिणामों को देखकर श्रेय दिया जाना चाहिए. क्योंकि मेहनत करना तो आपके हाथ में है लेकिन फल की प्राप्ति आपके हाथ में नहीं.

अंत में यही कहना चाहूंगा कि इस कहानी को इस संदर्भ में लिया जाना चाहिए जो हमारे जीवन में प्रेरणा प्रदान करे और हम इस कहानी के आधार पर अपने जीवन को सुरक्षित और अर्थपूर्ण बना सकें.

कृपया नोट करें, यह कहानी किसी व्यक्ति पर नहीं बल्कि कल्पना पर आधारित है. इसे प्रस्तुत करने का उद्देश्य किसी को भी आहत करने का नहीं है; बल्कि इस कहानी के माध्यम से, शिक्षा लेने का है. आशा है, आपको यह कहानी प्रेरणादायक अवश्य लगी होगी.