So far in this column, we have covered fairly good ground in understanding ourselves as souls living in a mind-body system and experiencing the physical world. आपके और दुनिया के बीच जुड़ाव के कुछ कायदे हैं – जीवन यापन करना, सोचना, व्यवहार करना और समाज के साथ संलग्न होना, इन सब का तरीकेवार होना जरूरी है।
The more mindful we become, the more aware we will be of these higher truths as we “do business” with the world and the lesser we will suffer.
हम जितना कम पीड़ित होते हैं, उतना ही आगे बढ़ते हैं।
There is no gain in pain. The more meaning and satisfaction we can find in life that can enable us to live our highest potential.
सार्वभौमिक रूप से अनुसरण किए जाने वाले सात सिद्धांत हैं – कृतज्ञता, विनम्रता, आशा, उदारता, क्षमा, इरादा और अपेक्षा के सिद्धांत। इन्हें दुनियादारी की आध्यात्मिक रणनीति कह सकते हैं। However, like before any other instrument, you will need grounding to apply these seven rules.
जैसे संस्कृति, संचार और भाषा को मानव अस्तित्व का तिपाई आधार माना जाता है, वैसे ही जीवन को भौतिकता में आत्मा की यात्रा के रूप में समझने के लिये तीन अहसासों की एक तिपाई है। The three legs of this tripod are: (1) acceptance of your place in the matrix of this world; (2) living your truth as the purpose of your life; and (3) faith in the intelligence that operates inside and outside your body.
इससे पहले कि हम सात सिद्धांतों पर चर्चा करें, आइए पहले इन तीन अहसासों पर ध्यान दें।
Whatever happens in this world hardly makes a difference in the universe.
So insignificant is our planet Earth that whatever happens here matters very little. सभी महान भूकंप, बाढ़, चक्रवात, और जो कुछ भी विपत्तियां आती हैं, पृथ्वी तक ही सीमित हैं और ६० किलोमीटर मोटी हवा की परतों में लिपटी हुई होती हैं। So, what importance should be attached to each of the seven billion people living on this planet, except that they are arranged and operational as part of one great system?
What is a doctor outside a hospital setting? An author to an illiterate? A Chinese poet to an Indian? A software coder to a porter in the wholesale vegetable market? A continental chef in a street food shop? हम में से प्रत्येक अपने परिवेश में से अपनी प्रासंगिकता पाता है। यह जीवन पहला सच है। आप न पढ़ो तो मेरे लिखने से क्या हासिल है?
No life is random. Just like every seed that is sown, cared for and protected can become a tree, every human being, given a proper environment, education and support can accomplish the best of standards in the world in his innate field. तो, हमारे जीवन का उद्देश्य हमारी क्षमता को बाहर लाना है, और बीज की तरह, एक पेड़ बनना है, और भविष्य के पेड़ उगाने वाले बीज वाले फल देना है। इन्सान झुंड का जानवर नहीं हैं, दर्जन के हिसाब से बिकने वाला नींबू भी नहीं हैं; हम में से प्रत्येक अनूठा है।
अपनी विलक्षणता को पहचानें।
Finally, have faith in the intelligence of Existence. हमारे शरीर के अंदर और बाहर के वातावरण में, हमारे जीवन को संभाले कायदे और सलाहियत से चलती व्यवस्था है। कुछ भी बेतरतीब नहीं है। तो आपकी नाफरमानियाँ भला कैसे चलेंगीं। Therefore, anything improper and out of sync with this intelligence is bound to die. Make these three understandings your tripod stool, sit comfortably upon it, and enjoy the drama of your life.