प्रेम एक अदृश्य ऊर्जा है, जीवन में जो कुछ भी अच्छा है, उसकी वजह से ही है पर लोग ऊर्जा के प्रति कृतज्ञ होना भूल जाते हैं और जब वह ऊर्जा मिलना बंद हो जाती है तो छटपटाने लगते हैं। जरूरत है कि जीवन में प्रेम की अहमियत को प्रमुखता से समझा जाए। जीवन में प्रेम और विश्वास की कमी अवसाद का एक बहुत बड़ा कारण है।
प्रेम एक ऐसी संजीवनी बूटी है जो हमें मरते-मरते भी जीवन दान दे सकती है। प्रेम में सबसे जरूरी होता है – आदर भाव, परस्पर सहयोग, विश्वास!
अक्सर हम अपने सबसे करीबी इंसान के प्रति लापरवाह हो जाते हैं। हम सोचते हैं कि पूरे समय साथ ही तो हैं। कई बार साथ होने के बावजूद भी दिलों के बीच मीलों की दूरियां हो जाती हैं। इसका कारण है संवाद हीनता, संवेदनशीलता की कमी, परस्पर सम्मान का अभाव। नतीजतन उन दूरियों में कई और लोग जगह घेर लेते हैं।
लोग अक्सर दूसरे को अपने हिसाब से बदलने की कोशिश में लगे रहते हैं। कोई किस तरह चले, सोचे, उठे-बैठे, व्यवहार करे, यह सब लोग तय करना चाहते हैं। तब रिश्ते में प्रेम की जगह आक्रोश आ जाता है। किसी को बदलने पर मजबूर करना, उसके व्यक्तित्व को दबाना, हतोत्साहित करना, कभी भी प्रेम नहीं हो सकता और कोई भी दबता तब तक ही है जब तक वह कमजोर है या किसी मजबूरी से बंधा हुआ है।
‘घर’ सबसे सुरक्षित और प्रेम से भरा हुआ होना चाहिए जहां के लिए मन में हमेशा भरोसा बना रहे कि मुझे यहां सम्मान मिलेगा, प्रेम मिलेगा और मेरे विचारों को समझा जाएगा।
अक्सर माता-पिता को लगता है कि बच्चे उनसे दूर हो गए पर क्या कभी उन्होंने इस तरह सोचा है कि कभी वह बच्चों के मित्र बन कर रहे? क्या उन्होंने खुद को बच्चों की जगह रखकर उनके दृष्टिकोण से सोचने की कोशिश की?
समस्याओं की बात सब करते हैं पर समाधान खोजने की कोशिश बहुत कम लोग करते हैं। प्यार से अपने बच्चों के सर पर हाथ फेरते हुए, उनके मन में अपने प्रति जमी हुई बर्फ को पिघलाने की कोशिश कीजिए। यकीन मानिए, प्रेम और सम्मान से ही आप दुनिया को मुट्ठी में कर सकते हैं। जब सब कुछ पास होते हुए भी हमारे पास सच्चा प्रेम नहीं होता, कोई एक ऐसा साथ ही नहीं होता जो जिससे हम बिना संकोच अपनी हर परेशानी, हर डर को बांट सकें तो हम दुनिया के सबसे ग़रीब इंसान हैं।
आदर सम्मान को आप खरीद नहीं सकते वह आपको अपने व्यवहार से हासिल करना होता है यह ऐसी कमाई है जो जितना खर्च करो उतनी बढ़ती है।
देखा गया है कि कई लोग बहुत प्रेम में होते हैं और फिर धीरे-धीरे उनके बीच अविश्वास भर जाता है, झगड़े होने लगते हैं और कुछ समय बाद वे या तो अलग हो जाते हैं या फिर साथ रहते हुए भी दो अलग जीवन जीने लगते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि प्रेम रूपी पौधे को हम फॉर ग्रांटेड लेने लगते हैं। उसकी देखभाल करना भूल जाते हैं। हम भूल जाते हैं कि जैसे श्वास लेना, भोजन करना अनिवार्य काम हैं, उसी तरह अपने रिश्तों को, प्रेम को प्रतिदिन संभालना भी हमारी अनिवार्य जिम्मेदारी है। प्रलोभन में फंस कर, नए-नए रिश्तों में सुख के आकर्षण में हम अपने सुखी जीवन में जहर घोल लेते हैं।
क्षणिक सुखों के प्रलोभन में मूर्ख अपने स्थाई सुख में आग लगा लेता है… झूठ हमेशा पेट्रोल का काम करता है, वो कभी जल (पानी) नहीं हो सकता। याद रखिए झूठ कितना भी छुपा कर बोला जाए पर वह प्रेम की जड़ों में मट्ठे का काम करता है; इसीलिए जो आपके पास है उसको पूरी ईमानदारी से प्रेम करते हुए, खुद को और उसको बेहतर बनाने की कोशिश में लगे रहें, देखिए कितना आनंद मिलता है।
एक घर हो जहां सुकूून हो कि लौटने का मन करे, कुछ दोस्त हों जो सच में दोस्त हों और जीवन में प्रेम और आदरभाव हो !
Image source : Devendra Mohan Shrivastava