Kabir (1398-1518) is included in the syllabi of schools and that is how I was introduced to the first Hindi poet in India. कबीर एक संत के रूप में भी पूजनीय हैं और उन्हें आध्यात्मिक रूप से प्रबुद्ध जीवन जीने के बारे में एक प्रामाणिक आवाज के रूप में स्वीकार किया गया है।
इस कॉलम को कोविड-१९ महामारी की पृष्ठभूमि में रचा गया है जिसके दौरान मानव जीवन की नाजुकता सामने आई। The pandemic also exposed the general attitude of heartlessness amongst people towards the poor who have undergone severe hardships due to the economic shut down.
New questions have surfaced. Why is there evil in the world? क्या मानवता सही रास्ते पर है? क्या संगठित धर्म राह दिखाने में नाकाम रहे हैं? What beliefs do I feel obligated to uphold? Are they mine or have they just been imposed upon me? How much of social anxiety, paranoia, obsessions and compulsions are due to lack of faith? Or have been created by institutions enforcing their creed upon me?
एक व्यक्ति अपनी स्वयं की भावना को सुधारने और अपनी विश्वदृष्टि को सही करने के लिए क्या कर सकता है?
इंटरनेट जिसे शुरू में ज्ञान गंगा कहा गया था उसमें अब झूठ, गलत सूचना और एकमुश्त फर्जी खबरों की बाढ़ आई हुई है। संदेह और डर एक खुली खिड़की से घरों में घुस आए कीड़ों की तरह हमारे दिमागों में भर गए हैं। Sometime back, I was approached by many youngsters who I had taught earlier, and they still remained connected and call themselves my continuous students, about what can be done. Or if anything can really be done? संत कबीर पर आधारित लेखों की यह श्रृंखला इन अस्तित्वगत चिंताओं का सकारात्मक उत्तर है।
इस स्तंभ का विषय हमारे अमर सार को महसूस करना है और इसे अशांति के समुद्र में जो ज्यादातर संज्ञानात्मक है, लेकिन भौतिक भी है, एक लंगर के रूप में उपयोग करना है। कबीर के कुरकुरे दोहे और गहरे पद आज के कठिन समय में हमारे सबसे अच्छे मार्गदर्शक हैं। So, let us recall Kabir and develop a thought process that will alleviate anxiety, instill confidence, and perhaps give us some peace.
आप इन लेखों के माध्यम से तीन विषयों को देखेंगे : (१) हम पर डाले गए माया जाल की तन्द्रा को कैसे तोड़ा जाए; (२) भीतर के भगवान से कैसे जुड़ना है; और (३) आध्यात्मिक रूप से कैसे जीना है, ताकि आपको दैनिक जीवन में कुछ सुकून मिल सके। The promise is that it will help you feel better as you would be drawing both guidance and energy from within.
As for the title of the column, if one does not venture to understand one’s true self, only religious practices cannot protect one from the rain-loaded clouds of attractions and temptations. जो खुद को जमीनी हकीकत पर टिकाए रखते हैं और प्रलोभनों से दूर रहते हैं, वे ही खुद को बचा सकते हैं; जो लोग यह सोचकर आकर्षण के साथ खिलवाड़ करते हैं कि उनकी चतुराई उन्हें बचा लेगी, वे बर्बाद होकर ही रहते हैं।
Aldous Huxley writes in Time Must Have a Stop, published in 1944: “There’s only one corner of the universe you can be certain of improving, and that’s your own self.”
सफलता, लोकप्रियता और पावर हमारे जीवन को चलाने वाले तीन मुख्य प्रलोभन हैं। यहां यह समझने की जरूरत है कि इन प्रलोभनों की मोहक शक्ति दरअसल हमारी जैसे हम हैं, जो हम हैं उसकी अस्वीकृति से आती है।
We are attracted to these forces out of our beliefs that we are inadequate, worthless and unlovable. Success, popularity, and power are no doubt attractive solutions to feel good. असली फन्दा दरअसल आत्म-अस्वीकृति है।
जैसे ही कोई मेरी आलोचना करता है, मेरी तरफ तवज्जो नहीं देता, मुझे अकेला छोड़ दिया जाता है, तो मुझे लगता है ‘अरे, मैं कुछ भी नहीं हूं … मैं अच्छा नहीं हूं … मैं एक तरफ धकेले जाने के ही लायक हूं, भुला दिया जाना, खारिज कर दिया जाना, और छोड़ दिया जाना ही मेरा नसीब है।’
Self-rejection is the greatest enemy of spiritual life because it contradicts the sacred voice that calls man the image of God. Each one of us is created in a unique way. कबीर कहते हैं कि हमारे जीवन का सबसे बड़ा जंजाल न तो सफलता पाना है, न ही लोकप्रियता पाना है, और न ही शक्तिशाली बनना है, बल्कि मसला आत्म-अस्वीकृति है।
Understand, accept and be who you are and keep enhancing your strengths and working on your defects. This is the real purpose of life. सिद्धांतों के मंदिर में शरण लिए हुए सारे लोग भीग गये, लेकिन जो बाहर थे, खुले मैदान में अकेले अपने बूते पर खड़े थे, वे अप्रभावित रहे।
दूसरों का ज्ञान तीतर के परों से बने छप्पर की तरह है। उसके तले जिंदगी नहीं गुजरती। स्वयं को जानो, जो हो उसको बेहतर बनाओ।