Senses are mere apertures of mind to connect with the surroundings and make derive meaning of the world around. It is so much like a machine and yet fundamentally different. बहुत ही अजीबोगरीब तरीके से, एक छोटा बच्चा भी अपनी पसंद दिखाना शुरू कर देता है – यह मुझे पसंद है, यह मुझे पसंद नहीं।
जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, पसंद-नापसंद की यह भावना परिवेश से जुड़ने की सामान्य प्रक्रिया पर हावी होने लगती है। सब कुछ ‘अच्छे’ और ‘बुरे’ के रूप में लेबल होने लगता है और लोगों और वस्तुओं से ‘लगाव’ और ‘नफरत’ की भावनाएं उत्पन्न होने लगती हैं। We start ‘seeing’ only certain things and ‘ignoring’ the rest and ‘hearing’ only selectively.
How much of pick and choose happens to the sensory data is actually astonishing. बचपन बीत जाने के बाद, यह सब समाप्त हो जाना चाहिए लेकिन अफ़सोस की बात है कि धारणाऐं हमारी अपेक्षाओं के हिसाब से बनना चालू रहती हैं।
देखे हम सब वो सपने, खुद ही सजाए जो हमने।
It may sound shocking to you, but majority of people live their entire lives trapped in their childish ‘likes’ and ‘dislikes.’ They only eat what they ‘like’, even if it is not healthy, indulge in behaviours and lifestyles which lead them to injury and even chronic diseases. अपनी पसंद-नापसंद में उलझे हुए हम अपने ही बुने जाल में फंस कर रह जाते हैं। और त्रासदी यह है कि हम इस कैद से रिहा होने में असमर्थ हैं। Our own tendencies become our fate accomplice.
Socrates said an unexamined life is not worth living. Kabir called it as squandering a chance that arrives after millions of years, the consciousness spent in evolutionary cycle.
कबीर के अनुसार होश में जीना वास्तव में जीना है।
यों तो जीवन का उपहार अरबों लोगों को दिया गया है; पर कोई बिरला ही इस तरह से जीता है कि जो अपने जीवन से दुनिया पर कुछ फर्क डाल सके।
चीजों को सरल बनाने के लिए, कबीर ने इसे ब्रह्मांडीय चेतना तक पहुंचना कहा है, जो कि संपूर्ण सृष्टि का आधार है। पिण्ड और ब्रह्माण्ड एक हैं। सूक्ष्म और स्थूल जगत, दोनों एक ही चेतना से बने हैं। But passing through the years of life as a robot ‘programmed’ and eventually stopping after ‘battery’ is over is a wastage of human life.
समृद्ध परिवारों में जन्म लेने वाले बच्चों, जिन्होनें अपना जीवन बरबाद कर लिया, के असंख्य उदाहरण हैं। लेकिन ऐसी भी अनेक मिसालें हैं जहां गुरबत में पैदा हुए बच्चों ने प्रतिष्ठा अर्जित की। तो, जीवन एक अवसर है, और इसे उद्देश्य और दिशा की भावना के साथ जीना चाहिए।
Kabir invokes a beautiful imagery of a field, a farmer, and the rain about to commence. He cautions the farmer to be careful, for this whole situation, most beneficial and carrying advantages, can easily get wasted. वर्षा जल, यदि क्यारी के चारों ओर मेड़ बना कर नहीं रोका जायेगा, तो वह बह जाएगा। यदि बीज नहीं बोए गए तो खरपतवार उग आएंगे।
Get up O wise farmer and mind your field, else the rain will wash it away. Make weir around your field to hold the water and sow your crop by leading a flourishing life. आध्यात्म दरअसल होशपूर्वक और पूरे ध्यान के साथ, एक पूर्ण और फलदायी जीवन जीने के बारे में है। यह दुनिया से बचने के बारे में नहीं है; यह दुनिया से जुड़ने के बारे में है।
Be aware of your power to ‘choose’ and live by disciplining yours senses and purposefully.