प्यार शायद सबसे गलत समझा और गलत इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। बहुत कम लोग जानते हैं कि प्यार क्या होता है या प्यार करने में सक्षम होते हैं। Most of the time, love is a bundle of obligations, responsibilities, and obedience and is offered as a favor and not for itself, or out of compassion and sacrifice as is normally claimed. दूसरों से प्रेम करने के नाम पर लोग वास्तव में अपने अहंकार से प्रेम करते हैं।

लेकिन क्या कोई अहंकार से मुक्त हो सकता है? क्या किसी के लिए “मैं और मेरा” की भावना के बिना जीना संभव है? What is a human being without the idea of “I”? Yes, this awareness of “I” is at the centre of human existence and from it springs a social network – a web of connections – that binds and holds a person in society.

The problem starts with the ignorance about the “I-ness” of the others. As you have your feeling of “I”, so do others.

आपका “मैं” दूसरे लोगों में “मैं” के भाव को भला कैसे वश में कर सकता है?

कबीर ने सही और सबसे सटीक रूप से इस व्याधि की पहचान की है कि जीवन के सारे दुख बस इसी एक गलतफहमी में निहित हैं।

सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको खुद से प्यार करने में सक्षम होना चाहिए। This means being able to be alone comfortably with oneself for a long period of time, without needing anyone else’s company and support. जो ऐसा नहीं कर सकते, वे रिश्तों, दोस्ती और परोपकारी बंधनों के नाम पर लोगों को फंसाने के लिए जाल डालने वाले मछुआरे की तरह जीवन जीते हैं।

असलियत में कोई भी किसी को इस तरह नहीं देखता कि दूसरा वास्तव में क्या हैं। हम सभी एक-दूसरे को अपने अहंकार के चश्मे से देखते हैं। We colour things as “good” and “bad,” people as “friends” and “foes,” and even circumstances as “fortunate” and “unfortunate.” हमारे मन हमेशा घमंड, भय, इच्छा और प्रतिस्पर्धा के विचारों से भरे रहते हैं – जो सभी हमारे अपने अहंकार की बनायी रचनाएँ होते हैं।

Add to these distortions of our own egos, the corresponding distortions in the egos of others, and you see how cloudy the glass must be through which we look at each other! अस्पष्टता की ये परतें हमें अंधे लोगों के रूप में जीने के लिए मजबूर कर देती हैं। कमोबेश हम सभी गान्धारी की तरह वास्तविकता को नकारते हुए जीते हैं।

अपने आसपास की दुनिया के प्रति थोड़ा ग्रहणशील बनें।

सब कुछ नियंत्रित करने की कोशिश करने के बजाय, जो हो रहा है उसे होने  दें। होना है जो, हो जाने दें। Know that opinions are mere words. Criticism is nothing, and neither is fame. अपमान और प्रशंसा दोनों ही आपकी त्वचा पर लगे पाउडर की तरह हैं। वे कभी भी आपके शरीर का हिस्सा नहीं हो सकते। बढ़िया से बढ़िया सौंदर्य प्रसाधन भी चेहरे को धुलने से नहीं बचा सकते।

कबीर ने पूजा करने के बाहरी रूपों को त्याग कर “मन के भीतर ईश्वर” को पाने का आह्वान किया है। Love starts not with another but with loving oneself deeply and with all one’s flaws. ऐसा तब ही होता है जब कोई व्यक्ति अहंकार विहीन, आत्म-स्वीकार करने वाला और ध्यानपूर्ण स्वभाव का हो जाता है।

People who love are truly capable of being alone with themselves and vice-versa.

प्रेम, सद्भाव और आनंद सभी वस्तुतः आशीर्वाद हैं। वे खेतों में उगाई जाने वाली, कारखाने में बनी, या बाजार में बेची जाने वाली वस्तुऐं नहीं हैं। And the good news is that anyone can have them. Kings and also their subjects, if they so wish, can have them in exchange for their egos.

बस “मैं और मेरा” को छोड़ दो, सब कुछ पा लोगे।

कितना सरल संदेश है यह, जिसका बड़ा गहरा मूल्य है! अपना “मैं का भाव” छोड़ दो और पूरे ब्रह्मांड को अपना और खुद को ब्रह्मांड का हिस्सा जानो – सूरज की रोशनी, हवा, बादल, आसमान, तारे, फूल, पक्षी और उनकी चहक – सब कुछ तुम्हारा है!