Prince Siddhartha Gautama was kept confined to luxury by his father in his initial years. एक ज्योतिषी की भविष्यवाणी से, कि उसका बेटा बड़ा होकर एक तपस्वी बनेगा, घबरा कर उनके पिता ने यह सुनिश्चित किया कि उसका बेटा कभी किसी दुख से रूबरू न हो। But one day, the child came out of the palace and saw four sights or four events in a brief spell of a few hours.
राजकुमार ने पहली बार एक बूढ़े आदमी को देखा, जिसकी त्वचा झुर्रीदार थी, उससे सीधा भी नहीं चला जा रहा था, शरीर में ताकत की कमी थी। When the prince asked about this person, he was told that it was due to aging and that it happened to everyone.
The second sight was that of a sick person suffering from some ailment. He was lying in pain. राजकुमार को बताया गया कि यह तो जीवन की एक सामान्य बात है। उम्र के साथ हारी-बीमारी तो लगी ही रहती है।
तीसरा नजारा एक शवयात्रा का था। लोग एक शव को दाह संस्कार के लिए ले जा रहे थे। The prince was told that death was an inevitable fate that befell everyone. जिसने भी जन्म लिया है उसे एक दिन तो मरना ही होगा।
इन तीन दुख भरे दृश्यों को देखने के बाद, राजकुमार को एक अच्छी बात नजर आई। An ascetic was sitting under a tree in contemplation. Dressed in a simple robe, his face radiated peace. वह अपने चारों ओर की भीड़ और शोर के बीच शांत भाव से ध्यानमग्न बैठा था।
बाद में, जब राजकुमार सिद्धार्थ गौतम भगवान बुद्ध बन गए तब उन्होंने जीवन के चार सत्य बताए – दुख का सत्य, दुख के कारण का सत्य, दुख के अंत का सत्य, और उस अंत की ओर जाने वाले मार्ग का सत्य।
Suffering is a hallmark of life but there is a solution.
तो दुख से क्यों भागना? क्यों न इससे निपटा जाये और परेशानियों से पीछा छुड़ाने की जगह उन्हे सुलटा कर समेटा जाये? Remember that just as pleasure never lasts forever, neither does suffering. The saying, “This too shall pass…” aptly describes the fact that all experiences are indeed fleeting.
The attraction and thirst for pleasure are as tormenting as the attempt to avoid difficulties and pain. जब बुढ़ापा, बीमारी, और मृत्यु निश्चित और अपरिहार्य हैं, तो उनसे क्यों डरें और बचने की बाबत व्यर्थ के प्रयास क्यों करें?
Kabir describes this tragedy with brilliant simplicity. संत पीड़ित है, तपस्वी पीड़ित है। गृहस्थ वाले की पीड़ा तो इनसे भी दो गुना है।
आशा और तृष्णा तो हर जगह हैं; कोई महल भी इनसे मुक्त नहीं हैं।
What is blood pressure? Ulcers? Diabetes? Arthritis? Baldness? Know that medical science has no answers. Are they treatable? No, only manageable. And one can manage them best only if one attends to them well in time. Focus on what is triggering them and remove that trigger.
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि शरीर की सभी व्याधियों का केवल एक ट्रिगर होता है – मन का डर! किसी को जो पसंद है उसे पाने की इच्छा और जो नापसंद है उससे बचने की चिंता आपके शरीर में अनेकों समस्याएं पैदा करता है। चाहत और चिंता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
Outer appearances are deceptive. Many rich and famous people, in fact, live miserable lives. A large number of property and car owners have taken huge loans, and are even defaulters. No cosmetics can make one beautiful on the inside. आपकी प्रसन्नता केवल चाहतों और चिंताओं को काबू में रखने में निहित है। यह संसार बेशक दुखिया है लेकिन आपके पास हमेशा दुख से बाहर निकलने का विकल्प मौजूद है।