मैं कौन हूँ? आमतौर पर, इस प्रश्न का उत्तर किसी के नाम के रूप में आता है। But we all know that a name is just a label, an identity that locates me, and sorts me out in a crowd. It is nothing to do with what I am. Then I look at my body, which is converted into a photograph that appears on my ID papers and becomes my identity. लेकिन मुझे पता है कि मेरा मन इस शरीर तक ही सीमित नहीं है और निरंतर भटकता रहता है।
और फिर मैं सपने देखता हूं। नींद के दौरान, मैं अज्ञात स्थानों पर जाता हूं, अजीब लोगों और जीवों से मिलता हूं, उड़ता हूं, दौड़ता हूं, छोटा हो जाता हूं, बूढ़ा हो जाता हूं… क्या-क्या नहीं घटता मेरे साथ ? And when I am awake, all the drama is gone… only to return later with a new show! So, there is something in me, besides my body and the mind, who is more like a spectator watching a film, and is experiencing my life. Who is this?
इसके नाम को लेकर विवाद है। प्रत्येक धर्म, संस्कृति और भाषा में इसे अलग-अलग नामों से पुकारा गया है – आत्मा, रूह, ब्रह्म, इत्यादि। A little like “a rose is a rose by whatever name you call it,” this “watcher” inside me is there. From where it has come, I have no idea. Where it will go after I die, I do not know. मैं इसे अपने अंदर घोंसले में रहते एक पक्षी के रूप में देख सकता हूं, जो शायद उतनी ही तेजी से उड़ जाएगा, जितनी तेजी से आया था।
कबीर ने इस “अंदर की जागरूकता” को अपनी कविता का केंद्रीय विषय बनाया है।
He did not receive formal education and did not burden his mind with fancy terms and definitions. This makes him describe this feeling in the most simple manner and direct words. He is calling pain and suffering as the price that our consciousness is paying for entering into the physicality. फिल्म देखनी है तो टिकट तो खरीदना ही पड़ेगा… यह जीवन फ्री शो नहीं है।
कबीर कहते हैं, हर कोई – राजा, प्रजा, ऋषि और देवता, हर कहीं, सात महाद्वीपों से बने संपूर्ण विश्व, और पहाड़ों और नदियों द्वारा नौ खंडों में विभाजित भारतीय उपमहाद्वीप में, शरीर धारण करने की कीमत चुका रहा है।
What is the human body but a bundle of flesh, grown and nourished by five elements of nature!
हर माँ जानती है कि कैसे उसने अपने बच्चे को गर्भ में रखा, उसे अपनी गोद में खिलाया और शिशु से एक सुंदर आदमी या एक सुंदर युवती के रूप में विकसित होते देखा। Look at your old photographs and know how have you changed constantly. और अपने चेहरे को आईने में देखो, अपनी आँखों में झांको और एक सिहरन तुम्हारे पूरे शरीर से गुजर जाएगी… तुम्हारे रोंगटे खड़े हो जाएंगे।
मानव मन क्या है? अच्छे और बुरे बीजों से भरा खेत है जो इस दुनिया में पौधों और पेड़ों के रूप में उगने और बढ़ने के लिए अपनी बारी आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। वास्तव में कोई भी हमें हमसे नहीं बचा सकता है। We ourselves must make the path and walk on it. You will be shown ready-made paths, plans, and prospects by others but they are mostly traps to control you and convert you into a life-time slave.
अपनी प्रेरणाओं और उद्देश्यों से अनजान, जो वास्तव में हमारे विचारों को पैदा कर रहे हैं, हमारा जीवन कठपुतली जैसा बन कर रह जाता है। To be human means to question our thoughts and analyze our decisions. कार्ल जंग ने कहा है, “जब तक आप अचेतन को सचेत नहीं करोगे, यह आपके जीवन को निर्देशित करता रहेगा और आप इसे तकदीर समझ कर दौड़ते-भटकते रहोगे।”