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एक बार अपने कुछ दोस्तों के साथ लॉकडाउन के समय कॉन्फ्रेंस में हम लोग बैठे हुए थे और गपशप में लीन थे कि तभी सभी दोस्तों ने एक बात पर एक राय बनाते हुए कहा कि देखो आज इस लॉकडाउन में हम सब बहुत अकेले हो चुके हैं परंतु फिर भी एक साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इकट्ठा होकर कुछ नई-पुरानी बातों को शेयर करने में बहुत अच्छा महसूस कर रहे हैं।

समझने और समझाने की बात है कि दोस्तों का सहारा जीवन में जिसको भी मिला वह एक भाग्यशाली व्यक्ति है और जिसे नहीं मिला वह केवल इसलिए नहीं मिला कि वह अपना समय दोस्तों में नहीं दे पाया, क्योंकि दोस्ती की पहली कंडीशन है कि आपको उनके साथ मिल-बैठकर बातें करनी पड़ेगी और तरह-तरह के समस्याओं को आपस में बैठकर समझाना पड़ेगा और इन सबके लिए आपको समय देना पड़ेगा।

जब आप अपने परिवार में रहते हैं, एक जॉइंट फैमिली में रहते हैं तो कई बार आपके पास इतना समय नहीं होता कि आप दोस्तों को ज्यादा समय दे सकें और अपने परिवार में ही आप अपना समय व्यतीत करते हैं, क्योंकि उनके साथ समय देना आपकी अनिवार्यता हो जाती है। परंतु कुछ ऐसे लोग जो घर से बाहर रहकर पढ़ाई करते हैं और नौकरी भी घर से बाहर रहकर करते हैं तो उनके लिए दोस्तों के साथ समय बिताना, उनकी मदद लेना-उनको मदद देना, उनके साथ मनोरंजन के साधन जुटाना आवश्यक हो जाता है क्योंकि यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें अकेलापन रास नहीं आएगा। इन दोस्तों की संगत का असर हमें यह देखने को मिलता है कि हम अपनी बहुत सारी परेशानियों को, संकट को, खुशियों को, जरूरतों को मिल-बैठकर बड़ी आसानी से हल कर पाने में अक्सर सफल हो जाते हैं।

होता यह है कि जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता है और दोस्तों की महफिल जमने लग जाती है जिसमें हर तरह का वातावरण हमको मिलता है तो हम प्राकृतिक रूप से अपने परिवार से थोड़ा दूर हो जाते हैं और हमारी निर्भरता अपने दोस्तों पर ज्यादा बढ़ जाती है। आगे आने वाले समय में जब हम अपनी उम्र के आखिरी पड़ाव तक पहुंचते हैं तब तक उन दोस्तों की संख्या बढ़ चुकी होती है और आज के नेटवर्किंग के जो साधन हमारे पास हैं उनके माध्यम से हम अधिक से अधिक लोगों के संपर्क में बने रहते हैं; चाहे वे हमारे पास हों या हमसे काफी दूर हों।

इसका लाभ सबसे बड़ा यह होता है कि आपके नाते-रिश्तेदार-परिवार की अपनी सीमाएं होने के कारण यह आपकी समय-समय पर ना तो परेशानियों सुख-दुख को सुन सकते हैं और उसमें शामिल हो सकते हैं बल्कि दूर होने के कारण उनके पास इसका कोई समाधान भी नहीं होता। इसलिए ऐसा देखा गया है कि दोस्तों के सहारा, दोस्तों के संपर्क, दोस्तों के नेटवर्किंग के जरिए जुड़ा रहना आगे चलकर हमारे लिए बहुत सहायक सिद्ध होता है। इसका सबसे बड़ा लाभ हमें अपने उन वर्षों में मिलता है जब हम अपने रिटायरमेंट के आसपास होते हैं और हमें अपने पास बहुत कम लोग परिवार के नजर आते हैं। यहां तक कि हमारे अपने बच्चे भी हमसे काफी दूर चले जाते हैं – पढ़ाई या अपने व्यवसाय के लिए।

ऐसे समय में जो दोस्त हमारे आसपास होते हैं वे हमेशा आपके नजदीक, आपके पास नजर आते हैं, वो आपके सुख-दुख में आपके लिए हमेशा तैयार रहते हैं। दोस्तों की परिभाषा में यह आवश्यक नहीं है कि पुराने दोस्त हों या नए दोस्त हों। दोस्त तो हर उम्र में, हर समय, हर परिस्थिति में, हर वातावरण में बनाए जा सकते हैं या पुरानी दोस्ती को हमेशा जीवित रखा जा सकता है।

अपनी बढ़ती उम्र में तो हम अक्सर देखते हैं कि उनका व्यवहार-आचरण और उनके अपने नियम हमारे अपने वातावरण से हमेशा काफी मेल खाते हैं क्योंकि अगर ऐसा नहीं हो पाता तो दोस्ती होना भी मुश्किल होता है। जब एक ही वातावरण, एक ही दिमाग के लोग एक साथ बैठते हैं तो अक्सर बातें भी बहुत अच्छे माहौल में, खुशनुमा माहौल में आगे बढ़ती हैं और हमें बड़ा आनंद आता है।

अंत में, यही कहना चाहूंगा कि दोस्ती और दोस्तों की अहमियत को कभी नहीं नकारना चाहिए, चाहे जिस उम्र में, चाहे जिस वातावरण में, चाहे जिस परिस्थिति में आप हों। आप नए-पुराने दोस्तों को बनाए रखिए। अंत में आपके वही बहुत मददगार साबित होंगे क्योंकि परिवार न तो आपके साथ बहुत दिन रहने वाला है ना ही आपके अपने बच्चे आपके साथ बहुत दिन रहने वाले हैं और ऐसी परिस्थिति में जब आप बिल्कुल अकेले हैं तो आपको हमेशा आवश्यकता होगी कुछ अच्छे दोस्तों की; चाहे वे किसी भी उम्र के हों, चाहे वे किसी भी व्यवसाय के हों।

ईश्वर करें, हम सबको ऐसे ही अच्छे दोस्त जीवन में मिलते रहें जो हमेशा हर परिस्थितियों में हमारे साथ रहें।

धन्यवाद।