हर व्यक्ति चाहता है कि वह अधिक से अधिक अपनी आंतरिक शक्तियों को विकसित करे, ताकि वह बाहरी दुनिया से अपनी उन शक्तियों के सहारे लड़ सके. सफलता पाने के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि हम अपनी शक्तियों को पहचानें और उसको निखारते हुए प्रदर्शित करें ताकि लोग हमारी योग्यता को अच्छी तरह से समझ सकें, जो हमें हमेशा जीवन में सफल होने के लिए सहायता करेंगे.

इस संबंध मैंने कुछ ऐसे विचार प्रस्तुत किए हैं जिनके माध्यम से हम निश्चित रूप से अपने आप को खोज सकते हैं.

नंबर 1. अपने अंदर की प्रतिभा को पहचानें

अक्सर देखा गया है कि लोग दूसरों द्वारा बताई गई बातों को मानते हुए अपने आपको पहचानने की कोशिश करते हैं, परंतु मेरा मानना है कि हमारी अपनी प्रतिभा जो हमारे अंदर विद्यमान है उसे केवल हम पहचान सकते हैं और आत्म चिंतन से उन्हें निखार भी सकते हैं. इसके लिए कोई आवश्यकता नहीं है कि हम लोगों से यह जानने की कोशिश करें कि हम इतने प्रतिभाशाली हैं. समझना पड़ेगा कि हमारी प्रतिभा ही हमें निखारते हुए आगे बढ़ने में हमेशा सहायता प्रदान करेगी और लोग हम से प्रभावित हो सकेंगे.

नंबर 2. प्रतिभाओं का विश्लेषण करें

प्रतिभाओं को पहचानना, निखारना और उन्हें विकसित करते हुए उनका विश्लेषण करना अति आवश्यक होता है. विश्लेषण करने का लाभ यह होता है कि हम एक वैज्ञानिक पद्धति के द्वारा उन प्रतिभाओं को अलग-अलग हिस्से में बांटकर उनका विधिवत उपयोग आसानी से कर सकते हैं और इस प्रकार उनकी उपयोगिता निश्चित रूप से बहुत बढ़ जाएगी.

नंबर 3. दूसरों से प्रोत्साहित हों, निराश नहीं

हमारे रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत से लोग मिलते हैं और हमसे बहुत तरह की बातें करते हैं. हमारा यह कर्तव्य है कि उन सब लोगों से सहजता से मिलें, उनकी बातों को धैर्य पूर्वक सुनें और उन बातों से अपने को प्रोत्साहित करें, जो हमारे हाथ में है और जो हमारे लिए लाभदायक है. और ऐसी भी बहुत सी बातें अवश्य होंगी जो हमारे ऊपर नकारात्मक असर डालकर हमें निराश करेंगी. हम कभी यह अपेक्षा दूसरों से नहीं कर सकते कि लोग हमेशा हमारी तारीफ करते हुए प्रोत्साहित ही करेंगे. कुछ लोग हमें निराश भी कर सकते हैं. हमें निराश हुए बगैर उस निराशा से बचते हुए उसमें आशा की किरण ढूँढ़नी चाहिए.

नंबर 4. नकारात्मक सोच को बदलें

ऐसी सोच तो हमें निराशा प्रदान करती है उन्हें हम नकारात्मक सोच कहते हैं और जो हमारे लिए हानिकारक होती है. हमेशा हमें ऐसी नकारात्मक सोच से बचना चाहिए और कोशिश होनी चाहिए कि वह हमारे ऊपर हावी ना हो. हम उन परिस्थितियों, स्थान व लोगों से बचें, जहां पर हमारी सोच नकारात्मक होने का डर हमेशा बना रहता है.

नंबर 5 किसी व्यक्ति विशेष, वर्ग या समाज से आवश्यकता से अधिक प्रभावित ना हो

यह अच्छी बात है कि हम नए लोगों से मिलें और उनकी बातों को अवश्य सुनें और समझें. परंतु यदि हम बहुत अधिक उन लोगों से या समाज के उस वर्ग से प्रभावित हो जाते हैं तो हमारा विचार और व्यवहार भी काफी हद तक प्रभावित होने लगता है और हमारी ओरिजनेलिटी खत्म होने का खतरा बना रहता है. बेहतर हो कि हम उस परिस्थिति में अपने को उस प्रभाव से बचाने का प्रयत्न करें, जो हमारे लिए हानिकारक साबित हो सकती है.

नंबर 6. अपनी असलियत को ना खोएं

हम जब भी अपने आचार, विचार, व्यवहार को सामने रखकर किसी कार्य को करें तो हमेशा याद रखें कि जो हमारी असलियत है उसे बनाए रखें , क्योंकि हमारी असलियत ही हमारी पहचान होती है .

नंबर 7. अपने व्यक्तित्व को निखारें नाकि बदलें

अक्सर देखा गया है कि लोग किसी प्रभाव से या किसी नकारात्मक सोच के कारण अपने व्यक्तित्व को स्वयं ही बदलने की कोशिश करते हैं. उन्हें लगता है कि उनका व्यक्तित्व उनकी सफलता की राह में रोड़ा बन रहा है. परंतु यह ठीक नहीं है कि हम अपने असली व्यक्तित्व को बदलें बल्कि हमें चाहिए कि हम अपने व्यक्तित्व को इतना निखारें व संवारें कि वही व्यक्तित्व औरों के लिए एक आकर्षण पैदा कर सकें.

नंबर 8 अपने व्यवहार व आचरण को प्रभावशील बनाएं

आपका आचरण व व्यवहार आपके व्यक्तित्व का बहुत बड़ा हिस्सा होता है और इसलिए आपका व्यवहार व आचरण इस प्रकार का होना चाहिए कि वह लोगों को प्रभावित कर सके और आपसे उनका व्यवहार बहुत सम्मानजनक और आकर्षक होना चाहिए.

नंबर 9 अत्यधिक व्यवहारिक बनें और आडंबर से दूर रहें

हमेशा चाहिए कि हम जीवन में व्यवहारिक बनें और जमीन से जुड़े रहें. अत्यधिक आडंबर हमारी वास्तविकता को खो देगा और लोगों में हमारी पहचान गलत ढंग से पेश होगी और हम लोगों का विश्वास खो देंगे.

नंबर 10 आध्यात्मिक सोच को अपनाएं

हमेशा देखा गया है कि आध्यात्मिक सोच वाले व्यक्ति बहुत सकारात्मक होते हैं. उनका आचार-व्यवहार सब कुछ लोगों को बहुत पसंद आने लगता है. यह ऐसी परिस्थिति होती है जब आप अपने पथ पर सफलता के लिए अग्रसर होते हैं तो कई बार लोग आपकी सहायता करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं, क्योंकि आपकी अध्यात्मिकता आपकी पहचान व शक्ति बन जाती है.

धन्यवाद.