The fourth spiritual strategy to deal with the world is Generosity, a godly virtue indeed. भक्त अपने बुरे समय में भगवान को सबसे अधिक उदार मानकर उनकी मदद मांगते हैं – कृपालु भजुमन हरण भवभय दारुणं। The Supreme Creator made in the immense universe one unique planet Earth and entrusted it in the care of with His active involvement. गीता भगवान के वादे को बताती है कि जब भी चीजें गड़बड़ होंगी, तो भगवान आकर उन्हें ठीक कर देगें – धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।
God has been very generous with His Creation.
The universe is created with perfect elegance and complexity. God made the seas, the mountains and rivers, along with the cushion of air to help us breathe, circulate water across the landmass as rain, and changing seasons. पृथ्वी पर, मानव जाति का निर्माण करते समय, भगवान जीवन के लिये जरूरी हवा, पानी, खाने पर नहीं रुके बल्कि हमारे अस्तित्व से परे, हमारी खुशी का भी ख्याल रखा। अनगिनत नेहमतें बनायीं।
He gave us a sky with the moon and stars in the night and a blue screen during the day. Flowers, fruits, butterflies, bees and stars too numerous to count. Our senses of sight, sound, smell, touch and taste enable us to experience the richness of these gifts. Is not every good thing you enjoy in life, a gift from God? जैसे १९६२ की फिल्म सूरत और सीरत में गीतकार शैलेंद्र पूछते हैं – बहुत दिया देनेवाले ने तुझको आँचल ही न समाए तो क्या कीजे!
भारतीय संस्कृति में देना हमेशा पूजा का एक रूप रहा है। पारंपरिक रूप से फसल की पहली बाली, मौसम का पहला फल, सर्वोत्तम मसाला, ताजा पिसा आटा और ताजे पिराेए तेल से भगवान को समर्पित करने का चलन है। Even now, good families put aside a portion of their wealth for charity before utilizing the rest. And many people would not eat before putting aside a portion for the birds and animals.
When we give God something that costs us, we point to the past, acknowledging that everything we have comes from Him, declaring our gratitude. But we also point toward the future. हम जिस चीज पर निर्भर हैं, उसे त्याग देना इस विश्वास का सबूत है कि सही वक्त आने पर वह सब मिलेगा जो हमें चाहिए। When we begin to grasp what God has done for us, the question demands to be answered: How are we supposed to respond to a gift like this? How do we respond to His unfathomable love, grace and sacrifice? धन घमंड लाता है। उसे देने के बाद ही आत्मा को समृद्धि महसूस होती है।
अपने जीवन के तरीके को ‘पहले दो और फिर लो’ में बदल दें।
कोई भी चीज़ चाहने से पहले अपनी तरफ से उसकी कीमत अता करें। You will be able to do it after realizing that your life itself is a ‘given’ and your giving is a return rather than any investment. अपने गैर जरूरी और पुराने सामान को देना उदारता का कार्य नहीं है, ऐसा करके आप पुण्य कमाने की बजाय, अपनी तंगदिली का तमाशा कर रहे हैं। शायर ऐनुद्दीन आज़िम ने कहा है, “रऊनत ग़रीबी का महसूल है, सुखी को सख़ावत का ग़र्रा सही।“
Rich can be easily generous. They may give a good portion of their money away to the good cause, but when poor give their own selves in the service away, that is a great giving. याद रखें, जो मदद आप दूसरों के लिए करते हैं वह काम आपके लिए कल्याणकारी होगा, दान में दिया गया पैसा कभी नहीं। Giving your time helping the needy and in the care of others is true generosity. जब भी समय मिले बुजुर्ग और बीमार के साथ बैठें। भगवान आपको सबसे अधिक आशीर्वाद देंगे।