इन्सान अपनी आदतों का पुतला है। Habits are part and parcel of the human mind. When Stephen Covey published his book, The 7 Habits of Highly Effective People, in 1989, I was amongst the first set of readers. मैं डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लेबोरेटरी (डी.आर.डी.एल.) में काम कर रहा था और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मेरे बॉस थे। He asked me to give a talk in what we used to call the “colloquium,” an informal gathering of scientists every month. मैं अब इस स्तंभ में आपके साथ इन सात आदतों को साझा करूंगा, क्योंकि वे जीवन में बड़ी लाभकारी हैं।
At the base of the seven habits are two ideas. One is “paradigm shift” saying that two people can see the same thing and yet differ with each other. एक दृश्य के दो नजरिये हो सकते हैं। The second is “maturity continuum” saying that at birth, everybody is dependent and grows out of it till adulthood.
आयु के साथ आत्मनिर्भरता बढ़नी चाहिये।
स्वतंत्रता (Independence) व्यक्तिगत उपलब्धि पर आधारित “मैं” का दृष्टिकोण है। जबकि अन्योन्याश्रय (Inter-dependence) “हम,” का नजरिया है जो सहयोग, टीम में काम करने की भावना, और हमारी प्रतिभाओं को संयोजित करने की क्षमता पर आधारित है। A failure in any of the three stages – Dependence, Independence and Interdependence – results in immaturity. एक स्वतंत्र बच्चा, एक आश्रित वयस्क, और एक अहंकारी वरिष्ठ नागरिक असामान्य ही कहे जायेंगे।
सात में से पहली तीन आदतें निर्भरता से स्वतंत्रता की ओर ले जाती हैं। These are: (1) Be proactive; (2) Begin with the end in mind; and (3) First things first; (१) सक्रिय होना; (२) परिणाम ध्यान में रख कर कोई काम शुरू करना; और (३) जरूरी काम पहले करना। Together, these three habits constitute the process of self-mastery.
The next three habits talk about Interdependence, your ability to work with others. These are: (४) तेरी जीत-मेरी जीत की सोच; (५) पहले समझने की, फिर समझाने की आदत; और (६) ताल से ताल मिलाने की काबलियत। The last habit is that of continuous improvement based on the Japanese concept of “Kaizen.” It is called: (7) Sharpen the Sword, (७) धार देना, calling for regularly renewing your resources, energy and health to create a sustainable, long-term, effective lifestyle.
कोवे ने पुस्तक में बरकत की सोच का भी परिचय दिया है, जिसमें यह माना जाता है कि दूसरों के साथ साझा करने से समृद्धि आती है। Covey contrasts it with the scarcity mindset, which is founded on the idea that if someone else wins or is successful in a situation, it means you lose, and in the process promotes destructive and unnecessary competition.
२००३ में, ‘भावनात्मक बुद्धिमत्ता (Emotional Intelligence) किताब से मशहूर हुए लेखक डैनियल गोलमैन ने दलाई लामा के साथ अपनी बातचीत के आधार पर ‘विनाशकारी भावनाएँ’ (Destructive Emotions) नाम की एक पुस्तक प्रकाशित की। He said in that about “three poisons” – craving, anger, and delusion. लालसा, क्रोध, और भ्रम के भाव तीन विष हैं। We must purge them out to become effective in life. These poisons cloud our perception of a situation — we filter people and events through them and react to turn any interaction acrimonious and unpleasant. विनाशकारी भावनाओं की उपस्थिति में स्टीफन कोवे द्वारा सुझाई सात आदतें तो बनने से रहीं। शायर शारिक़ कैफ़ी ने कहा है, “पता नहीं ये तमन्ना-ए-क़ुर्ब कब जागी, मुझे तो सिर्फ़ उसे सोचने की आदत थी ।“
You can only replace one habit with another. English writer Samuel Johnson declared, “The chains of habit are too weak to be felt until they are too strong to be broken.” अत्यधिक प्रभावी लोगों की पहली आदत – सक्रिय होना (Be proactive) पर अगले हफ्ते चर्चा करेंगे। तब तक मन साफ कर लें।