“पहले जो जरूरी वो करने” की आदत।
Habit 3 of Highly Effective People is “Putting First Things First” – “पहले जो जरूरी वो करने” की आदत। When you open the window to get some fresh air, mosquitoes and fleas also fly into the house. You have to recognize that in life, not doing everything that comes along is okay. अपने आपको हर तरफ फैलाने की कोई जरूरत नहीं है। आपको पता होना चाहिए कि क्या कुछ अनदेखा करना है। हर बात पर “हाँ” कहना ठीक नहीं; आपको “नहीं” कहना भी आना चाहिए।
पहले जो जरूरी वो करने का मतलब है अपनी सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं को व्यवस्थित करना और मसलों को सुलटाना। It means living and being driven by the principles you value the most and not by the agendas and forces surrounding you. Say no to a ‘drink party’ when your family is waiting at home. Say no to shopping when there is little money. स्वादिष्ट पर अस्वास्थ्यकर भोजन और टीवी देखने के लिए जब आपको लाइट बंद करके सो जाना चाहिए के लिए ना कहना सीखें।
आप “सक्रिय रहने की पहली आदत” से जानते हैं कि आप अपने जीवन के लिए खुद जिम्मेदार हैं। Being proactive is about exercising a choice. You know that “Habit 2 of Beginning with the End in Mind” is about vision – create first in the mind what you want to do in real life. तीसरी आदत में पहली और दूसरी आदतें एक साथ आ जाती हैं। यह आदत विचारों की भौतिक सृष्टि के बारे में है।
This creation happens day in and day out, moment-by-moment. A lot of time is wasted in the absence of this habit. What are “first things?” First things are those that you, personally, find of most worth. यदि आप जरूरी चीजों को पहले करते हैं, तो आप अपनी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के अनुसार समय और घटनाओं का आयोजन कर रहे होते हैं और आपके आसपास के लोगों द्वारा आपको घुमाए जाने की गुंजाइश ही नहीं रहती।
Every day brings some unexpected things, even emergencies, and of course, there is always some necessary work to attend to. लेकिन अगर आप एक अनुशासित जीवन जी रहे हैं, तो कई तात्कालिकताएँ और आपात स्थितियाँ बन ही नहीं पाती है। For example, paying bills or booking tickets well in advance, having an extra supply of groceries and medicines, etc.
Then there are distractions, like telephone calls, emails, and various apps. The more you attend to them, the more powerless you become. अपने फोन को साइलेंट मोड पर रखने और मिस्ड कॉलों और मैसेजों का दिन में केवल दो-तीन बार जवाब देने में कोई बुराई नहीं है। Otherwise, you will never be able to do what you really want to do to move ahead in life.
I am not talking about wasting time, which we all know about and yet indulge in like we are addicted to it – TV, gossip, playing cards, idling, surfing the Internet, and chatting. The injury is many graves. जरूरे काम छोड़ कर दुनिया का तमाशा देखने लगना दरअसल आटे में नमक की आवश्यक मात्रा के बजाय नमक में आटा डालने जैसा है। खाना तो खराब होगा ही!
Do not allow important tasks to become urgent by delaying them. Taking care of your health or pursuing your dreams must always take priority over everything else. जरूरी कामों को तरजीह देने का मतलब है कि, आप अपना समय, अपनी ऊर्जा, अंजाम की सोच कर सक्रिय रहने पर लगा रहे हैं। हर पल, जो जरूरी है, उसे पहले करके अपने भाग्य को सौभाग्य में बदलें।