Habit 5 of Highly Effective People is Seek First to Understand, Then to Be Understood – पहले समझो, फिर समझाओ । पहले सुनो, फिर बताओ। Communication is the most important skill in life. You spend years learning to read and write, and years learning to speak. But what about listening? आपके पास क्या प्रशिक्षण है जो आपको सुनने में सक्षम बनाता है, ताकि आप सही मायने में दूसरे इंसान की बात गहराई से समझ सकें? शायद कोई नहीं, है ना?
Most people listen with the intent to reply back, not to understand. You listen to yourself as you prepare in your mind what you are going to say, and the questions you are going to ask and the person who is talking to you. हम सबके कानों पर अदृश्य फिल्टर लगे होते हैं। हरेक का फिल्टर अलग और अनोखा है।
हर कोई अपने जीवन के अनुभवों और अपने संदर्भों के माध्यम से बातों को सुनता है या अनसुना कर देता है।
You check what you hear against your autobiography and see how it measures up. Consequently, you decide prematurely what the other person means before he/she finishes communicating. Do any of the above sound familiar? Unfortunately yes.
सुनने की एक सुव्यवस्थित आदत कैसे डालें?
आपको वास्तव में दिलचस्पी लेनी होगी कि अगला आपसे क्या कह रहा है। मौन के साथ सहज होना सीखें और जो कहा जा रहा है उसे धैर्यपूर्वक पूरा सुनें और जांच-परख कर स्पष्ट जवाब दें। हर मसले को चुनौती और हस्तक्षेप में न बदलें। कई बार चुप रहना बेहतर होता है। It is important to manage distractions constructively and remain focused on the current moment. Good listeners attend to visual cues and atmospheres. Finally, you must be able to link what is heard with other experiences and contexts.
स्टीफन कोवे ने सुनने के पांच स्तरों को परिभाषित किया है। (1) अनसुना करना – Simply not listening at all; (2) Pretending – बहाना करना, हाँ-हूँ करना लेकिन वास्तव में सुनना नहीं; (3) Selective listening – Paying attention to certain parts and ignoring the rest, चयनात्मक सुनना; (4) चौकस सुनना – ध्यान देना, सोच-समझ से जाँच करना, listening actively; and (5) Empathic listening – सहानुभूति के साथ सुनना, शब्दों से परे जाकर बात को महसूस करना।
The biggest barrier to listening is lack of respect and concern for the other person.
Although nobody will accept this, but even in a family, people are interested in manipulating other members rather than listening to them. शायर अब्दुल अहद साज़ के लफ्जों मे, “नज़र तो आते हैं कमरों में चलते-फिरते मगर, ये घर के लोग न जाने कहाँ गए हुए हैं।“ अक्सर लोगों को कहने की तलब होती है। बस कोई उनका अफसाना सुन ले और इतने भर से उन्हें सुकून मिल जाता है।
Austrian musician and poet Alfred Brendel said something very interesting: “The word ‘listen’ contains the same letters as the word ‘silent.” शायर वहीद अख़्तर ने तो यहां तक कहा है कि, “जो सुनना चाहो तो बोल उट्ठेंगे अँधेरे भी, न सुनना चाहो तो दिल की सदा सुनाई न दे।“ Know that people who are good listeners are those who have known defeat, suffering, struggle, and loss, and have found their way out of the depths. जीवन की समझ इन्सान को करुणा, सौम्यता और परवाह से भर देती है। समझदार बनें।