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“दान” एक खूबसूरत क्रिया है.  इस क्रिया की खूबसूरती को लोग अक्सर जाहिर या प्रचार करके कम कर देते हैं.

कहा गया है कि अगर दाएं हाथ से दान करो तो बाएं हाथ को पता ना चले तभी दान का महत्व है. लेकिन सोशल मीडिया के दौर में लोग जितना देते नहीं उससे ज्यादा जताना और दिखाना चाहते हैं. फिर भी कई बार ये दिखावा कुछ सकारात्मक इसलिए भी होता क्योंकि देखा-देखी में ये कई और लोगों को भी शेयर करने के लिए प्रेरित करता है.

यह कोरोना कॉल पूरी मानवता के लिए मुश्किल वक्त है. ऐसे समय में हमको अपने बेसिक जरूरतों को पूरा करते हुए, शौक पर होने वाले खर्च को बचाना है और उस पैसे से हमें उन लोगों की मदद करने की कोशिश करनी है जिनके पास बेसिक जरूरतों के लिए पैसा नहीं है. यकीन मानिए, आपकी एक छोटी सी मदद किसी के लिए जीवनदान हो सकती है. वह कहते हैं न कि बूंद-बूंद से घड़ा भरता है; अच्छाई की एक बूंद भी अमृत के समान होती है. साफ पानी में रंग की कुछ बूंदें मिला दी जायें तो पानी का रंग उस रंग के जैसा हो जाता है. अच्छाई भी ऐसा ही रंग है जो पूरे माहौल को सकारात्मक, सहज और जीने योग्य बनाता है. इसलिए हमको फिजा में यह रंग बिखेरते रहना चाहिए.

इस पर एक कहानी याद आती है… एक आदमी जंगल से जा रहा था. प्यास के मारे उसका बुरा हाल था, उसके पास जो पानी था वह खत्म हो चुका था. बहुत भटकने के बाद उसको जंगल में एक टूटी-फूटी झोपड़ी नजर आई. झोपड़ी के पास एक हैंडपंप था. उसने हैंडपंप को चलाया पर वह सूखा हुआ था. वह निराश तो हुआ पर फिर वह उम्मीद से झोपड़ी के अंदर गया. वहां उसे एक मटका पानी का भरा दिखाई दिया, वह खुश हो गया और पानी पीने के लिए मटके की तरफ बढ़ा. मटके के पास दीवार पर चौक से लिखा था- “कृपया पानी पीने के बाद मटका दोबारा भर दें, बाहर लगे हैंडपंप में थोड़ा पानी डालकर उसको चालू कर लें.” उस आदमी ने पेट भर पानी पिया. मटके का पानी बेहद ठंडा और मीठा था. फिर आदमी ने बचे हुए पानी को हैंडपंप में डालकर उसे चालू किया और मटके को भर दिया और साथ ही साथ अपनी बोतल भी भर ली. चलते समय उसने चौक से एक और बात लिख दी – “किसी ने मेरी प्यास बुझाई और मैंने किसी और के लिए इन्तेजाम कर दिया.” उसके बाद वह अपनी राह पर निकल पड़ा.

तो बात यह है कि अगर हम किसी के लिए कुछ करते हैं तो वो अच्छाई हम तक वापस जरूर लौटती है. उसके लौटने का मार्ग भिन्न हो सकता है, माध्यम भिन्न हो सकता है.

ठीक इसी तरह बुराई के साथ भी है. अगर हम बुरा करते हैं तो वह आज नहीं तो कल किसी और के माध्यम से हम तक लौट आएगी. इसीलिए हमेशा बिना किसी उम्मीद के अच्छा करते जाइए, शेयर करते जाइए. एक पुरानी कहावत है- “नेकी कर दरिया में डाल” तो मुसीबत के दिनों में वही नेकियाँ दरिया में नाव बनकर आप को डूबने से बचा लेती हैं.

इस कुदरत ने हमें कितना कुछ दिया है जिसका हम कई बार ठीक से शुक्राना भी अदा नहीं करते. इंसान की ज़रूरत बहुत कम होती है पर उसकी इच्छाएं बहुत ज्यादा होती हैं. इसलिए ज़रूरतों को समझते हुए इच्छाओं पर नियंत्रण रखना ज़रूरी है. अगर ईश्वर ने हमें कुछ देने लायक बनाया है तो हमको ख़ुशी से उसको देना है, इस दुनिया को रहने के लिए एक बेहतरीन खूबसूरत जगह बनाना है तो देते रहिए, खुश रहिए, सकारात्मक रहिये, उम्मीद रखिये. इस तरह आप जिंदगी को समझने के लिए एक और ताला खोल पाएंगे.