ले जाएंगे तूफान से कश्‍ती निकाल के; तुम रखना इस देश के बच्‍चे संभाल के

मानवता के लिए यह बड़ा मुश्किल दौर है। कहा जाता है कि महामारी हर सौ साल में आती है। 1918 में भी स्पैनिश फ्लू ने पैर पसारे थे और न जाने कितनी ज़िंदगियाँ असमय काल के गाल में समा गईं। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से 1 करोड़ 80 लाख लोग मारे गए थे। 2020 में इस कोरोना ने दस्तक दी और देखते ही देखते पूरी दुनिया को उलट-पुलट कर रख दिया। जैसे-तैसे एक साल निकाला, 2021 में लोगों ने जीवन को पटरी पर लाने की उम्मीद की थी, भारत में स्कूल्स-कॉलेज खुलने लगे थे, पर अप्रैल आते-आते अचानक कोरोना ने विकराल रूप धारण कर लिया और ये दूसरी लहर पहले से कहीं घातक और मारक है। ऐसे में सारे स्कूल बंद हो चुके हैं और दोबारा बच्चे घरों मे कैद हैं। खेल के मैदान सूने हैं, पार्क वीरान पड़े हुए हैं, कभी-कभी कुछ बच्चे साइकिल चलाते हुए जरूर नजर आ जाते हैं।

बच्चों को पालना, पढ़ाना, उनको सुरक्षित और प्रसन्न रखना भी पेरेंट्स के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है पर इसको थोड़ा-सा management करके आसान किया जा सकता है।

रूटीन बनाएं –

मुश्किल हालात हैं, हर तरफ से आ रही बुरी खबरें सामान्य नहीं रहने दे रहीं पर फिर भी आपके और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि एक टाइम टेबल बना के चला जाए। समय पर सोना, उठना, पढ़ाई करना, खाना-पीना, खेलना, एक्सरसाइज़ करना यानी हर चीज का समय निर्धारित कीजिए। ऐसा नहीं हो कि किसी दिन आप दस बजे उठ रहे हैं और किसी दिन सुबह छह बजे। बच्चों के लिए एक रूटीन, एक अनुशासन बहुत जरूरी है। ऐसा करने पर आप भी मानसिक रूप से व्यवस्थित महसूस करेंगे और समय का ज्यादा सदुपयोग कर पाएंगे।

सिर्फ़ पढ़ाई के पीछे मत पड़िए बल्कि बच्चे के रूटीन में पढ़ाई के साथ-साथ मानसिक और शारीरिक गतिविधियां भी शामिल कीजिए। उनको घर के कामों में भी सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित कीजिए।

सिखाइए जीवन की कीमत-

जीवन बेशकीमती है और इसमें मिली नियामतों के लिए शुक्राना करना बेहद जरूरी है। बच्चों को रिश्तों और चीजों की कदर करना सिखाइए। उनको जो मिला है, उसके लिए grateful होना सिखाइए। पैंडेमिक उनको काइंड और केयरिंग बनाने का बहुत अच्‍छा समय है। वहीं साथ ही उनको हर चीज की कीमत और अहमियत का अहसास होना जरूरी है ताकि वो किसी भी ब्लेसिंग को for granted न लें। इस समय जब लोग भोजन, इलाज, ऑक्सीजन के अभाव में मर रहे हैं, तब उनको इन सब चीजों का महत्व बताइए।

उनको बताइए कि अगर वो इन सब सुविधाओं का उपयोग कर पा रहे हैं, घर में सुरक्षित हैं तो वे कितने blessed हैं।

वो चीजों का उपयोग करें, उनके दुरुपयोग से बचें। जो उनके पास एक्स्ट्रा है, उसको देना सीखें। इस मुश्किल वक़्त में उसे बुरे से बुरा झेल पाने के लिए तैयार कीजिये, ख़ुदा न खास्ता घर से किसी सदस्य को हॉस्पिटल में एडमिट/ या घर में ही isolate करना पड़े तो वो घर की ज़िम्मेदारी संभाल सके।

बच्चे की ऑनलाइन सुरक्षा-

आज के दौर में मोबाईल, लैपटॉप, इंटरनेट से बच पाना असंभव है और आप हर समय बच्चों की निगरानी भी नहीं कर सकते। ऐसे में उनको ऑनलाइन दुनिया के नुकसान और जालसाजी से भी अवगत करवाइए। उनको बताइए कि किस तरह छोटी-सी लापरवाही बड़े खतरे की वजह बन सकती है। छोटे बच्चों को अपने क्रेडिट और डेबिट कार्ड्स की डिटेल्स मत दीजिए। आप कुछ websites को ब्लॉक भी कर सकते हैं। 12 साल या उससे छोटे बच्चों के मोबाईल में किड्स मोड ऑन रखिए ताकि उनके किसी भी कदम की जानकारी आपको मिलती रहे। उनके साथ दोस्ताना व्यवहार रखिए ताकि वे बेखौफ अपनी सारी बातें आपसे शेयर कर सकें। उन्‍हें जीवन के हर हाल में मानवीय होना, बने रहना सिखाइए, ऐसा बनाइए कि वे जजमेंटल न बनें, खुले दिल से लोगों से जुड़ने वाले बनें, लोगों को उनकी कमजोरियों के साथ स्‍वीकारने वाले बनें। बच्चों के साथ बच्चा बनते हुए उनकी दुनिया की पूरी खबर रखिए ताकि वो आपको कोई बॉस नहीं बल्कि अपनी दुनिया का हिस्सा मानें।

होती रहे सार्थक बातचीत-

ज़्यादातर लोग अभी वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। कई घरों में maids का आना भी बंद है, ऐसे में ऑफिस और घर के सारे काम का प्रेशर रहता है पर फिर भी कोशिश होनी चाहिए कि दिन में आधे से एक घंटा, सारे काम छोड़ कर बच्चों के साथ ढेरों बातें की जाएँ। उनके दिल को सुना जाए, उनको अपने बचपन के मजेदार किस्से, कहानियाँ सुनाई जाएँ ताकि वो आपसे ज्यादा कनेक्ट कर सकें। और ये माता-पिता दोनों की जिम्मेदारी है। जो बच्चे अपना ज्यादा टाइम गैजेट्स पर बिताते हैं, वो इंसान कम और मशीन ज्यादा हो जाते हैं और एक उम्र के बाद उनके लिए पेरेंट्स एटीएम कार्ड से ज्यादा कुछ नहीं होते। इसलिए इस घोर तनाव के दौर में ये लॉक डाउन का समय ज्यादा प्यार, कनेक्शन के लिए सकारात्मकता से इस्तेमाल किया जा सकता है।

 

सिखाइए घर के कामकाज-

बच्चों को पढ़ाई के अलावा घर के छोटे-मोटे काम जरूर सिखाइए, ऐसा न हो कि वो एक गिलास पानी के लिए भी आपको आवाज देता हो। बच्चे को खयाल रखना, बर्डन शेयर करना, स्वप्रेरणा से आना चाहिए। घर में मेड न आ रही हो तो झाड़ू, पोंछे, बर्तन धोने में उनकी मदद लेनी चाहिए। कुकिंग भी सिखाइए ताकि वो किसी भी हालात में कुछ खाने लायक पका सकें। पेड़-पौधों की जिम्मेदारी उनके कंधों पर डालें, उनको रोज पानी देना, हफ्ते में गमलों की गुड़ाई करना, खाद डालना सिखाएं। उनको कुदरत से प्रेम करना और उसको संभालना सिखाएं। घर को व्यवस्थित रखने में बच्चों की मदद लीजिए।

महिलाएं सारा काम अपने ऊपर नहीं ओढ़ेंगी, तो उनको थकान नहीं होगी और चिड़चिड़ाहट से बची रहेंगी और बच्चे भी ज्यादा रेसपोंसिबल बनेंगे। साथ ही साथ उनको घर के बुजुर्गों के प्रति विनम्र रहना और उनकी देखभाल करना सिखाइये। घर में हो सके तो pets पालिए और उनका काम भी बच्चों को सौंपिए ताकि वो संवेदनशील बन सकें और घर में pet होने से रौनक भी बनी रहेगी और जीवन्तता भी।

मोबाईल पर गेम खेलने की बजाय कुछ ऑफलाइन खेलें-

ऑनलाइन पढ़ाई के अलावा बच्चों का स्क्रीन एक्‍सपोजर कम कीजिए। उसके नुकसान उनको बताइए। ऑनलाइन गेम्स के बजाय लूडो, कैरम, scribble, छुपन-छुपाई, बिजनस, ताश, बैडमिंटन जैसे इंडोर गेम खेले जा सकते हैं। साथ में गेम्स खेलने से आपकी बॉन्डिंग भी मजबूत होगी, साथ ही साथ लंबे समय से चल रही इस pandemic से हो रही मानसिक थकान पर भी काफ़ी हद तक काबू किया जा सकेगा।

क्रिएटिव क्लास जॉइन कराएं-

ड्रॉइंग, म्यूजिक, singing, ऐक्टिंग, क्रिएटिव राइटिंग, डांस, language, जूडो-कराटे आदि ऐसे बहुत सारे कोर्स हैं जो आजकल ऑनलाइन आसानी से उपलब्ध हैं। ये लॉकडाउन उनके घर बैठे सीखने का एक अच्छा अवसर है। आप भी शनिवार, रविवार को वक़्त निकाल कर बच्चे के साथ ऐसी कोई भी क्लास जॉइन कर सकते हैं। जिससे आप दोनों ही अपने दिमाग और सीखने की क्षमताओं का विस्तार कर सकें। और बच्चे किताबी ज्ञान के अलावा जीवन की और भी खूबसूरत चीजों को सीख-समझ कर अपने सोचने का दायरा बढ़ सकें।

और एक बहुत जरूरी बात कि आपका वह बोलना, आपकी भाषा, व्‍यवहार जो आप उसे सिखाने के लिए सायास नहीं कर रहे, पर उसके सामने हो रहा है, उसकी अप्रत्‍यक्ष लर्निंग है, उस पर बहुत ज्‍यादा ध्‍यान देने की जरूरत है; उसे बच्‍चा अनजाने में बिना एफर्ट के ही सीख रहा होता है। कई बार सायास सिखाना तो अच्‍छा और आइडियल हो जाता है, पर अनायास सिखाया हुआ उसके जीवन को वह भी दे देता है जो आप उसे कतई नहीं देना चाहते, इसलिए हमें बच्‍चों के सामने अपने हर व्‍यवहार को मॉनिटर करने की जरूरत होती है।

बच्चे पालना बहुत जिम्मेदारी का काम है, उनको पालते हुए आपको बहुत-कुछ सीखना और बदलना होता है, बहुत से त्‍याग भी करने होते हैं। और महामारी के तनाव भरे समय में जब हर तरफ़ से नेगेटिव खबरें मिल रहीं हैं पेरेंटिंग और भी चुनौतीपूर्ण हो जाती है। आपको अपने साथ साथ बच्चों को भी इस तनाव और नकारात्मकता से बचाना होगा। अगर आप उनको इस दुर्गम समय में सलीके से पालते हैं तो वो आपके लिए एक बहुत बड़ी ताकत बनेंगे, खुद के लिए तो बनेंगे ही।

जल्दी ही ये दिन भी बीत जाएंगे, खयाल रखिये आपका और आपके परिवार का।

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