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आखिर अभिमन्यु मारा गया!

आज जब महाभारत का सीरियल देख रहा था तो देखते-देखते यह विचार आया कि अभिमन्यु को जिस तरह घेर कर 7 महारथियों ने मारा, उसकी निर्मम हत्या की, यह उदाहरण प्रस्तुत करता है उन स्टार्ट अप कंपनियों के लिए जो बहुत हिम्मत करके अपने किसी प्रोडक्ट को लेकर बाजार में घुसने का प्रयत्न करती हैं और बाजार के दिग्गज महारथियों के बनाए चक्रव्यूह में फंस जाती हैं.

महारथी अपने व्यापार में महारत हासिल कर चुके हैं और बहुत ऊंचाइयों को छू चुके हैं . ये अपने व्यापार को इस तरह से फैला चुके हैं कि जैसे एक चक्रव्यूह बनाया जाता है; जिससे इसके अंदर जाने का मार्ग बहुत सुगम लगता है और कोई भी स्टार्टअप कंपनी इसमें प्रवेश कर सकती है, जैसे कि अभिमन्यु ने किया. परंतु जब वह चक्रव्यूह के अंदर पहुंचा तो बड़े-बड़े योद्धाओं से लड़ने लगा. उसको योद्धाओं से लड़ते हुए बचने का मार्ग नहीं मिला. उन सबने नियमों के विरुद्ध जाते हुए उसे निहत्था कर दिया और अंत में उसकी हत्या कर दी.

अब समझने वाली बात यह है कि जब इस बड़े महाभारत में जहां पर बड़ी-बड़ी दिग्गज कंपनियां योद्धाओं की तरह अपना जाल फैला कर बैठी हैं और उनकी निगाह इस बात पर टिकी है कि उनके चक्रव्यूह में कोई सेंध ना लगा सके; वे लोग अपना एक सिंडीकेट बना कर बैठे हैं जो किसी को भी नजर नहीं आता और उसको कोई समझ भी नहीं पाता.

मैंने महसूस किया है और देखा है कि कोई भी व्यापारी, कोई भी बड़ा दुकानदार, कोई भी बड़ा औद्योगिक प्रतिष्ठान जब अपना व्यापार जमा लेता है और व्यापार का प्रसार कर लेता है तो वह हर तरीके से छोटे-छोटे व्यापारियों, दुकानदारों और औद्योगिक इकाइयों को अपने आसपास भी फटकने नहीं देता और अगर कोई आता है तो अपनी नीतियों से, अपने कुशल नेतृत्व से, अपनी प्रतिस्पर्धा क्षमता से उनको बाजार से हटा देता है.

सवाल यह उठता है कि हम इन महारथियों के बीच कैसे घुसें और किस प्रकार से उनसे लड़ सकें. मेरी सलाह यह है कि आप उस चक्रव्यूह को ना देखें, महारथियों की तरफ ना देखें. बल्कि यह सोचें कि हम जो अपना प्रोडक्ट बनाने जा रहे हैं, उसको हमें कहां और कितना बेचना है. हम केवल अपनी ओर देखें और अपनी जो योग्यता व क्षमता है उसको ध्यान में रखते हुए अपने टारगेट को निर्धारित करें. अपने टारगेट के हिसाब से अपनी नीति बनाएं ताकि हम अपने गोल को पूरा कर सकें. किसी प्रतिस्पर्धा में ना पड़ें; जिसके लिए कुछ बातों को समझना व ध्यान देना आवश्यक है.

नंबर 1 – अपना व्यापार का साइज तय करें कि हम कितना बड़ा व्यापार का साइज बनाना चाहते हैं और उसी आधार पर आगे बढ़ना चाहिए.

नंबर 2 – हमारी प्रोडक्ट रेंज क्या है और उसमें कौन-कौन से प्रोडक्ट शामिल हैं जो हमारे टारगेट मार्केट में आसानी से दिए जा सकते हैं.

नंबर 3 – हमारे टारगेट कस्टमर कैसे हैं? उनकी योग्यता व क्षमता कितनी है? क्या वे हमारे प्रोडक्ट को आसानी से अपने प्रतिष्ठान में उपलब्ध करा सकते हैं जिससे कि उसके ग्राहक आकर उन प्रोडक्ट को देख सकें और खरीद सकें.

नंबर 4 – हमें यह देखना आवश्यक है कि हमारे क्वालिटी किस तरह की है और क्या इस क्वालिटी के लिए हमारे ग्राहक तैयार हैं? हम अवश्य सुनिश्चित करें कि जो भी प्रोडक्ट बाजार में हैं हमारी क्वालिटी उनसे बेहतर हो ताकि हमारी क्वालिटी अच्छी तरह से पसंद की जा सके.

नंबर 5 – हमें तय करना पड़ेगा कि हमारी मूल्य निर्धारण नीति क्या है; ताकि हम अपने प्रोडक्ट बाजार में दें तो वे आसानी से बिक सकें और ऐसा न लगे कि हमारे प्रोडक्ट दूसरों के प्रोडक्ट से महंगे हैं.

नंबर 6 – हमारे ग्राहक को हमेशा ऐसा लगना चाहिए कि जो मूल्य वे हमारे प्रोडक्ट के लिए दे रहे हैं उसकी पूरी वैल्यू यानी उपयोगिता मिल रही है. कोई भी वस्तु खरीदने के बाद ठगा हुआ महसूस ना करे.

नंबर 7 – हमें यह देखना पड़ेगा कि हमारे जो डीलर हमारा माल बेच रहे हैं उनको हमारा प्रोडक्ट बेच के उचित लाभ मिल रहा है ताकि वे हमारा माल बेचें और खुश रहें.

नंबर 8 – हमेशा यह बात ध्यान रखनी पड़ेगी कि मांग और पूर्ति का संतुलन बना रहे। ऐसा ना हो कि मांग अधिक हो और पूर्ति कम; जिसका बाजार में नकारात्मक असर दिखना शुरू हो जाए.

नंबर 9 – हमारा इस बात पर हमेशा अधिक जोर रहता है कि “बिक्री बाद सेवा” पर विशेष ध्यान दिया जाए ताकि ग्राहकों में विश्वास पैदा हो जाए कि हमारा प्रोडक्ट किसी भी तरह से घाटे का सौदा नहीं हो सकता. जब वे हमारे प्रोडक्ट को खरीदें तो यह विश्वास रहे कि हमारा प्रोडक्ट वैल्यू फॉर मनी अवश्य प्रदान करेगा.

नंबर 10 – जब हमें लगने लगे कि हमारा प्रोडक्ट बाजार में उपलब्ध है और उसकी मांग लगातार बढ़ रही है; हमारे डीलर भी मांग के अनुसार प्रोडक्ट को रखने में इच्छुक हैं तो हम अपनी विस्तार योजना को बनाना शुरू कर सकते हैं .और कुछ इस तरह से योजना बनानी चाहिए कि हम उन बड़े-बड़े महारथियों के सामने शान से कह सकें कि हां यह प्रोडक्ट हमारा है जिसे कोई भी खरीद सकता है. वह किसी भी बड़ी कंपनी की तुलना में किसी तरह कमजोर नहीं है.

अब अंत में यही कहना चाहूंगा अपने आप को इस ढंग से तैयार करें कि आपको यह डर नहीं होना चाहिए कि हमारे सामने बहुत बड़ा महारथी खड़ा है. असल में महारथी कंपनी नहीं बाजार होता है, ग्राहक होता है. जब आपके उत्पाद का साइज इतना बड़ा हो जाए कि आप बाजार में दिखने लगें और लगे कि आप स्थापित हो चुके हैं; तब यही महारथी आपके साथ बैठना पसंद करेंगे क्योंकि वे जान चुके हैं कि आप स्थापित ब्रांड है. जब आपके मन से इन लोगों का डर निकल जाए तो मान कर चलिए कि आप भी एक महारथी की श्रेणी में आ जाएंगे और वे भी आपके साथ आपकी ही तरह व्यवहार करने की बात सोचेंगे.

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