Image default

ब्रह्म ज्ञान

कुछ दिन पहले दिल्ली से मदुरै की यात्रा (जोकि 3 दिन की थी) के दूसरे दिन सुबह-सुबह नागपुर स्टेशन से एक अखबार वाला चढ़ा। मैंने भी अपनी बोरियत दूर करने के लिये दैनिक भास्कर (उसके पास केवल यही एक अखबार था) ले लिया। अमूमन मैं कभी भी यात्राओं में बोर नहीं होती परंतु यह यात्रा बेहद उबाऊ रही।

पहले.. दूसरे.. तीसरे.. सभी पृष्ठों की ख़बरों पर नज़र दौड़ाते हुए (जोकि ख़बरों से कम और इश्तिहारों से अधिक भरे पड़े थे) मैं अपने पसंदीदा पृष्ठ ‘संपादकीय’ पर पहुंची। उसी पृष्ठ पर सबसे नीचे व्यंग्य के कॉलम में प्रसिद्ध व्यंग्यकार शरद जोशी जी की रचनाओं के संकलन नदी में खड़ा कवि * से एक व्यंग्य लिया गया था , ‘’जो टायर थे, वे टायर ही रहेंगे।“

“जो एक बार टायर होता है, वह हमेशा टायर होता है। कितना ही चले-घिसे, दाएं-बांए मुड़े, उलटा-सीधा घूम जाए अर्थात अपनी नज़र में समझे कि वह प्रगति कर रहा है पर वह टायर ही रहता है।”

“यदि वह समझे कि वह किसी दिन उठकर इंजन हो जाएगा, तो वह नहीं हो सकता। जो टायर था, वह टायर ही रहेगा। यह हो सकता है कि जो शायर थे, वे शायर न रहें (अक्सर वे ठोस यथार्थवादी जमीन से जुड़ कुछ और हो जाते हैं।) यह भी हो सकता है कि जो कायर थे वे कायर न रहें। अपनी कायरता का भान, अस्तित्व का आखिरी संघर्ष या किसी ईसा, गांधी, माओ के प्राण फूंकने से वे कायर न रहें परंतु टायरों के बारे में बहस फ़िज़ूल होगी। वे टायर ही रहेंगे।“

यकीन जानिए मुझे ऐसा ब्रह्म ज्ञान प्राप्त हुआ कि यात्रा सार्थक हो गई। न जाने कितने टायरों को इंजन या मुक्त मुसाफिर बनाने की कोशिश में अपनी कितनी ऊर्जा व्यर्थ की और यही सोचती रही कि एक न एक दिन तो ये टायर बदल ही जाएंगे परंतु आज ज्ञात हुआ कि टायर सदैव टायर ही रहेंगे।

टायरों को केवल गति या दिशा निर्धारित कर बताई जा सकती है तथा उनके विद्रोह करने (पंचर इत्यादि) पर उन्हें ठीक किया जा सकता है या किसी दूसरे अच्छे टायर से बदली किया जा सकता है।

हममें से बहुत लोग ऐसे ही कितने टायरों से घिरे पड़े हैं, यह लेख उनके लिये समर्पित ताकि वे भी अपनी ऊर्जा व्यर्थ न गंवायें, केवल गाड़ी का हैंडल अपने हाथ में रखें।

*यह व्यंग प्रसिद्ध व्यंग्यकार शरद जोशी जी की रचनाओं के संकलन “नदी में खड़ा कवि” से लिया गया है।

पसंद आया तो कीजिए लाइक और शेयर!

आप इसे भी पढ़ना पसंद करेंगे

किस्से चचा चकल्लस शहरयार के!!

Charoo तन्हा

पर्फेक्ट दामाद : चैताली थानवी की लिखी

Chaitali Thanvi

मीठी फ़रवरी : चैताली थानवी की लिखी

Chaitali Thanvi

होनी : समीर रावल की लिखी

Sameer Rawal

उम्मीद की किरण : डिम्पल अनमोल रस्तोगी की लिखी

Dimple Anmol Rastogi

समुद्र, चर्च, मंदिर, अराट और एयरपोर्ट

Anamika Anu