किस्से कहानियां

समुद्र, चर्च, मंदिर, अराट और एयरपोर्ट

Anamika Anu
एक दशक पहले त्रिवेंद्रम एक हरा शहर था, गाँव जैसी हरियाली समेटे, आँगन-सी साफ सुथरी सड़कें और समुद्री तट, साथ में एक सुकून भरी शांति। मैंने कई रातें समुद्र तट पर बैठकर लहरों को देखते हुए गुजारी हैं। उन दिनों घरेलू और अंतरराष्‍ट्रीय उड़ानें शंखमुगम...

लेखक की प्रेमकथा : सत्यदीप त्रिवेदी की लिखी

SatyaaDeep Trivedi
“तुम कुछ करते क्यों नहीं..?” “ऊँ ? करते तो हैं।” “क्या” “लिखते हैं।” “ओफ्फो, अरे आगे के लिए। जीने के लिए?” “करते तो हैं।” “क्या करते हो?” “तुमसे इश्क़।” लड़के ने गर्दन को कुछ अंदर की तरफ़ समेटते हुए, बिला वज़ह की नज़ाक़त से कहा।...

भारत की आज़ादी की पूर्व संध्या का वह ऐतिहासिक चुम्बन

Dr. Dushyant
भारत की आज़ादी की पूर्व संध्या यानी 14 अगस्त 1947 को एक जोड़े ने दिल्ली के कनॉट प्लेस पर चुम्बन लिया और शादी करना तय किया था, चुम्बन लेने की इस घटना को कोलिन्स और लेपियरे ने अपनी किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट‘ में दर्ज किया...

ज़ीरो : कहानी सत्यदीप त्रिवेदी की लिखी

SatyaaDeep Trivedi
शून्य यानी ज़ीरो। इसकी महिमा भी अपरंपार है साहब। देखिये तो कुछ नहीं है और देखिये तो बहुत कुछ है। पुरानी हिंदी फिल्मों में ग़रीब हीरो जब अपनी माशूक़ यानी हीरोइन का हाथ मांगने उसके घर जाता था, तब हीरोइन का खूसट बाप उसकी मुफ़लिसी...

एनकाउंटर : कहानी सत्यदीप त्रिवेदी की लिखी

SatyaaDeep Trivedi
सँझवाती का समय है। बाज़ार में घुसने से पहले एक मोड़ पड़ता है, उस मोड़ पर पैंतालीस-छियालीस साल की एक औरत टोकरी में तरकारी बेच रही है। औरत का बदन देहाती क़िस्म का है- भरा-भरा सा। रंग कुछ साँवला है लेकिन चेहरे पर कसावट अभी...

मैना की शादी : कहानी चैताली थानवी की लिखी

Chaitali Thanvi
संडे की शाम के वक़्त आसमान की लाइट डिम होते ही दादी गलियारे में बैठ जाती और जोर से आवाज़ लगातीं – ओह मैना! इधर आ तेल लगाऊं| चिढ़कर आखिर मैना को तेल लगाने बैठना ही पड़ता| भले ही मैना पच्चीस साल की हो गयी...

लव इन ऑनलाइन मोड

SatyaaDeep Trivedi
‘हाय!’ ‘हलो, कौन?’ ‘क्यों डीपी में शकल नहीं दिख रही क्या?’ ‘नहीं, आई मीन हाँ, लेकिन पूछना फॉरमैलिटी है।’ ‘हाहाहा! स्मार्ट! आई होप तुम अब ये नहीं पूछोगी कि नंबर कहाँ से मिला।’ ‘नहीं, इतनी बुद्धू थोड़ी हूँ। हम दोनों में सिर्फ़ एक ही चीज़...

कोरोना_काले_कथा

SatyaaDeep Trivedi
आजकल के बच्चे भी बड़े बद्तमीज़ हो गए हैं। बड़ों का तो लिहाज़ ही नहीं रहा बिल्कुल। ज़बान तो कोरोना केसेज़ की तरह दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। बताइये ज़रा, आज सुबह मेरा 12 साल का बेटा मुझसे बहस लड़ा रहा था। पढ़ाई-लिखाई तो...

ब्रह्म ज्ञान

Shabnam Patial
कुछ दिन पहले दिल्ली से मदुरै की यात्रा (जोकि 3 दिन की थी) के दूसरे दिन सुबह-सुबह नागपुर स्टेशन से एक अखबार वाला चढ़ा। मैंने भी अपनी बोरियत दूर करने के लिये दैनिक भास्कर (उसके पास केवल यही एक अखबार था) ले लिया। अमूमन मैं...

अविनाश दास remembers इरफ़ान ख़ान

Avinash Das
धीमी आंच पर चावल चढ़ाने की तरह पान सिंह तोमर रीलीज़ हुई थी। जब पानी में उबाल आने लगा, तो लोग इरफ़ान ख़ान को खोज रहे थे। इरफ़ान पंजाब में “क़िस्सा” की शूटिंग कर रहे थे। अचानक एक दिन अजय ब्रह्मात्मज का फ़ोन आया कि...