मासिक धर्म – आज भी टैबू

हमारे देश भारत में मासिक धर्म के बारे में बात करना आज भी एक बड़ा टैबू हैं। मासिक धर्म को लेकर अनेकों मिथ हैं, अनेकों ग़लत धारणायें हैं। अब समय आ चुका हैं खुल कर इस विषय में बात की जाए। साथ ही उन मिथकों और ग़लत धारणाओं से बाहर आया जाए। ज़रूरत है कि लड़कियों को मासिक धर्म उससे जुड़ी परेशनियाँ, उस दौरान लेने वाली सावधानियाँ के बारे में बताया जाए।

मासिक धर्म हमारे शरीर में होने वाली एक ऐसी प्रक्रिया है जो हर महीने होती है। हमारे देश में आमतौर पर 12-13 वर्ष की आयु से लड़कियों को मासिक धर्म आना शुरू हो जाता है। और लगभग 45 से 50 वर्ष की आयु तक चलता है ! इसलिए 10 वर्ष की आयु तक लड़कियों को इसके बारे में शिक्षा दे देनी चाहिए। हमारे भारत में माँ तक अपनी बच्चियों से इस बारे में बात करने से कतराती हैं। वो समय से इसके बारे में उनको शिक्षा नहीं देती। इसलिए जब अचानक लड़की को मासिक धर्म शुरू होता है तो वो तनाव में आ जाती है कि आख़िर उसे क्या हो गया ? क्या वो किसी गम्भीर बीमारी का शिकार हो गयी है ? अनेकों बुरे ख़याल उसको तनावग्रस्त कर देते हैं।

हमारे समाज में मासिक धर्म को अपवित्रता से जोड़ा जाता है। आपको मंदिर में जाने से और घर में पूजा-पाठ-हवन इत्यादि करने से मनाही होती है। गाँव में मासिक धर्म के दौरान लड़की या महिला को अलग कमरे में रखा जाता है। उनके खाने के बर्तन अलग कर दिए जाते हैं। मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को अछूत, अपवित्र माना जाता है !

क्या आप जानते हैं कि भारत में मंदिरों में स्त्रियों की इसी वजह से पुजारी नहीं बनाया जाता क्यूँकि हर माह रक्तस्राव से वो उस समय अपवित्र जानी जाती हैं !

क्या आप जानते हैं कि मासिक धर्म मातृत्व जैसी पवित्र भावना से जुड़ा होता है।

मासिक धर्म होने का मतलब है – आप माँ बन सकती हैं। जिन लड़कियों को मासिक धर्म नहीं होता वो माँ नहीं बन सकतीं। इसका मतलब मासिक धर्म होना अच्छी बात है, बुरी बात नहीं। फिर जो शारीरिक क्रिया मातृत्व से जुड़ी है वो अपवित्र कैसे हो सकती है ! दरअसल मासिक धर्म शरीर में होने वाला एक सकारात्मक बदलाव है जो प्रजनन की क्रिया का एक हिस्सा है। मासिक धर्म किसी भी स्त्री के उचित शारीरिक विकास का सूचक है। किसी भी महिला के मातृत्व सुख पाने के लिए बेहद ज़रूरी है।

हमारे समाज में मासिक धर्म होने पर लड़कियाँ-महिलायें अपने घर के पुरुष सदस्य (पिता, बेटे, भाई, पति) से यह छिपाती हैं कि उनको मासिक धर्म हो रहा है। पूछने पर वो बहाना बना देती हैं, आख़िर क्यूँ ??

जबकि ज़रूरत है, आप खुल कर उनको बतायें कि आपको मासिक धर्म हो रहा है, अतः आपको आराम की ज़रूरत है।

मैंने देखा है छोटे शहरों में जब कोई महिला मार्केट में सेनेटरी पैड्ज़ ख़रीदने जाती है तो बहुत धीरे और हिचकिचाते हुए कहती है। वो इतना धीरे बोलती हैं कि कहीं उनके पास खड़ा व्यक्ति सुन ना ले जैसे वो कोई ग़लत चीज़ ख़रीद रही हैं। दुकानदार भी पैड्ज़ को अखवार या काली पन्नी में लपेट कर देता है जैसे महिला ने कोई ऐसी चीज़ ख़रीद ली है जिसे उसे दुनिया से छिपाने की ज़रूरत है ! क्या उसे यह छिपाने की सचमुच ज़रूरत है कि उसे मासिक धर्म हो रहा है ??

मैंने गाँव की कुछ महिलाओं से पूछा कि क्या वो जानती हैं कि मासिक धर्म क्यूँ होता है? तो उनका जवाब था, वो ठीक से नहीं जानतीं कि यह क्यूँ होता है। शायद उनके शरीर का गंदा खून हर महीने निकल जाता है। इसलिए जब उनकी बेटियाँ अपनी माँ से यह सवाल करती हैं कि उनको हर महीने यह रक्तस्राव क्यूँ हो रहा है, तो उनको भी यही जवाब मिलता है कि तुम्हारे शरीर का गंदा खून शरीर से निकल रहा है।

वर्तमान समय में ज़रूरी है कि लड़के और लड़कियों, दोनो को स्कूल में इसकी शिक्षा देना बेहद ज़रूरी है क्यूँकि पुरुष मासिक धर्म का नाम सुनते ही नाक-भौ सिकोड़ लेते हैं। अतः लड़कों को भी इसकी शिक्षा देना उतना ही ज़रूरी है जितना कि लड़कियों को ! जिससे वो इस दौरान होने वाली तकलीफ़ को समझ सकें और अपने घर की महिलाओं की इस दौरान घर के काम-काज में मदद करें।

गाँव में मासिक धर्म के दौरान लड़कियाँ-महिलायें स्वच्छता का ध्यान नहीं रखतीं। उन्हें सेनेटरी पैड्ज़ उपलब्ध नहीं होते या वो महँगे होते हैं जिसे वो ख़रीद नहीं पातीं। मजबूरी में वो घर में पड़ा कपड़ा इस्तेमाल करती हैं, उसी कपड़े को बार-बार धोकर इस्तेमाल करती हैं जो कई बार गंदा रह जाता है, जिससे इन्फ़ेक्शन होने का ख़तरा बढ़ जाता है।

सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। सरकार द्वारा कम से कम दामों पर सेनेटरी पैड्ज़ उपलब्ध करने चाहिए; साथ ही मासिक धर्म से जुड़ी सावधानियों और समस्याओं पर जागरूकता फैलाने के लिए अभियान चलने चाहिए !

पसंद आया तो कीजिए लाइक और शेयर!

आप इसे भी पढ़ना पसंद करेंगे

सोशल मीडिया और हमारी तन्हाई

Chaitali Thanvi

अंगदान : मरने के बाद दें जीवन का वरदान

Dimple Anmol Rastogi

बालों का झड़ना बीमारी या आम समस्या ? कैसे लगे रोक : एक पड़ताल

Kanupriya Gupta

टूटते बिखरते लोग और सपने…

Charoo तन्हा

मन का मालिक-Life Sutra with EraTak

Era Tak

पाचन शक्ति को मजबूत बनाने के कारगर घरेलू नुस्खे

Kanupriya Gupta